शिक्षकों का दो साल से कैबिनेट में लटका है अंकों की छूट का मामला

29 जुलाई 2011 से पूर्व स्नातकों हेतु लगेगी न्यूनतम अंकों की शर्त
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हमीरपुर ।  राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 13 नवंबर 2019 को जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि 29 जुलाई, 2011 से पूर्व स्नातक उत्तीर्ण करने के वाले उन व्यक्तियों पर न्यूनतम 50 या 45 फीसदी अंकों की शर्त लागू नहीं होगीजिन्होंने बी.एड अथवा प्राथमिक शिक्षा स्नातक कोर्स में दाखिला ले लिया था। एनसीटीई ने अपनी अधिसूचना 29 जुलाई 2011 से प्रभावी करते हुए लागू करने की अधिसूचना कर दी है जिसका आधार सुप्रीम कोर्ट द्वारा 25 जुलाई 2017 को दिए गए आदेश हैं।

सिविल अपील संख्या 9732 नीरज कुमार राय बनाम उत्तर प्रदेश के मामले में हुई चुनौती का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई को आदेश दिए थे कि न्यूनतम अंकों की शर्त में छूट हेतु पूरक अधिसूचना भूतलक्षी प्रभाव से जारी की जाए। यह संशोधन एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना में किया गया है इससे प्रदेश के हजारों शिक्षक व बेरोजगार लाभान्वित होंगे जिनको स्नातक या स्नातकोत्तर में 50 प्रतिशत अंक न होने के चलते पदोन्नति या नियुक्ति से वंचित रहना पड़ा है। हिमाचल प्रदेश में 19 अगस्त  2011 से पूर्व नियुक्त टीजीटी शिक्षकों को पीजीटी /प्रवक्ता पदोन्नति बिना न्यूनतम अंक शर्त से छूट मिली थी, मगर नए नियमों में इसका कोई ज़िक्र तक नहीं किया गया है।

जुलाई 2020 से यह मामला कैबिनेट अप्रूवल हेतु गया है, मगर इस बारे अंतिम निर्णय अब तक अधिसूचित न हो सका। पीजीटी भर्ती नियमावली 2010 को संशोधित करते हुए 14 मई  2012 को शिक्षा सचिव हिमाचल सरकार ने अधिसूचना संख्या ईडीएन -ए- ख (3)-98 -भाग - II के पदोन्नति नियम बदलते हुए साफ किया था कि टीजीटी से पीजीटी पदोन्नति पात्रता हेतु संबन्धित विषय व बी.एड कोर्स में न्यूनतम अंक प्राप्त करने की शर्त 19 अगस्त 2011 से पूर्व नियुक्त टीजीटी शिक्षकों पर लागू नहीं होगी।

प्रदेश के हजारों टीजीटी शिक्षक इस अधिसूचना से लाभान्वित होने थे लेकिन 8 जुलाई 2020 को प्रदेश शिक्षा विभाग ने प्रवक्ता स्कूल नई व्यवस्था भर्ती पदोन्नति नियमावली संशोधित करते हुए न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों की शर्त संबन्धित विषय और बी.एड में भी लगा दी है और यह स्पष्ट नहीं किया है किया है कि 19 अगस्त  2011 से पूर्व नियुक्त टीजीटी शिक्षकों को अब न्यूनतम अंकों की शर्त में वर्ष 2012 में मिली छूट बरकरार है या इस रद्द कर दी गई है। इस  तरह दोहरी अधिसूचनाओं के चलते शिक्षक समझ नहीं पा रहे कि उनकी पदोन्नति होगी या नहीं, क्योंकि प्रदेश सरकार ने 35 टीजीटी कला शिक्षकों को उपरोक्त न्यूनतम अंकों में विशेष छूट 26 नवंबर 2020 को दी थी जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया वर्ष 2002 में शुरू हुई थी, मगर यह प्रक्रिया वर्ष 2011 में पूर्ण हुई थी।

शेष शिक्षकों पर ये छूट लागू नहीं होती। इस तरह पुराने नियमों में जो शिक्षक पदोन्नति हेतु पात्र थे और नए नियमों अनुसार अपात्र हो चुके हैं। उन्होंने पुराने नियमों के समय टीजीटी से पीजीटी प्रमोशन चैनल चुना और हेडमास्टर पदोन्नति विकल्प छोड़ा लेकिन अब नए नियम आने पर वे प्रवक्ता न्यू प्रमोट होने हेतु अपात्र हो गए और हेडमास्टर के लिए पात्र होकर भी प्रमोट नहीं होंगे क्योंकि पदोन्नति के लिए दिया गया विकल्प बदला नहीं जा सकता।

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इस बारे स्थिति स्पष्ट करने की अपील मांग हिमाचल प्रदेश राजकीय प्रशिक्षित कला स्नातक संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल व प्रदेश महासचिव विजय हीर ने शिक्षा विभाग व सरकार से की है क्योंकि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद नियमावली 12 नवंबर  2014 के तहत कक्षा 10+1 और 10+2 स्तर पर बतौर शिक्षक (प्रवक्ता) नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातकोत्तर में 50 प्रतिशत अंक व बी.एड वाले भी पात्र हैं एवं एनसीटीई विनिमय 2002,  2007 के तहत स्नातक या स्नाकोत्तर में 45 प्रतिशत अंक लेने वाले बी.एड धारक भी पदोन्नति हेतु पात्र घोषित हैं।

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इस नियम को प्रदेश के प्रवक्ता स्कूल नई व्यवस्था नियमावली में नहीं जोड़ा गया है। इस तरह एनसीटीई से मिली छूट और प्रदेश शिक्षा विभाग की वर्ष 2012 की छूट नए नियमों में शामिल न किए जाने से अनेकों टीजीटी शिक्षक खफा हैं ऐसे में संघ ने सरकार से इस मामले में विधिसंगत निर्णय लेने की अपील की है।
 

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