हिमाचल में सीमेंट प्लांट बंद ः इस वजह से ACC और अंबुजा सीमेंट फैक्टरी पर लटके ताले

हिमाचल प्रदेश में अडाणी समूह ने अपनी दो बड़ी सीमेंट उत्पादक कंपनियों के प्लांट के दो बड़े प्लांट बंद कर दिए हैं। इससे हिमाचल के लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो गया है।
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हिमाचल प्रदेश में अडाणी समूह ने अपनी दो बड़ी सीमेंट उत्पादक कंपनियों के प्लांट के दो बड़े प्लांट बंद कर दिए हैं। इससे हिमाचल के लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो गया है। मगर सबसे बड़ी बात यह है कि कंपनी को अचानक से अपने प्लांट क्यों बंद करने पड़े। दरअसल, कोई भी कंपनी रातों-रात इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकता है। लंबे समय तक मंथन के बाद ही अडाणी समूह ने बिलासपुर के बरमाण और सोलन के दाड़लाघाट स्थित प्लांट को बंद किया होगा। चलिए कंपनी ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया, इसके पीछे की वजह जानते हैं...  

सोलन/बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश में अडाणी समूह ने अपनी दो बड़ी सीमेंट उत्पादक कंपनियों के प्लांट के दो बड़े प्लांट बंद कर दिए हैं। इससे हिमाचल के लगभग 20 हजार लोगों को रोजगार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो गया है। मगर सबसे बड़ी बात यह है कि कंपनी को अचानक से अपने प्लांट क्यों बंद करने पड़े। दरअसल, कोई भी कंपनी रातों-रात इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकता है। लंबे समय तक मंथन के बाद ही अडाणी समूह ने बिलासपुर के बरमाण और सोलन के दाड़लाघाट स्थित प्लांट को बंद किया होगा। चलिए कंपनी ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया, इसके पीछे की वजह जानते हैं...    

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दरअसल, बरमाणा और दाड़लाघाट में सीमेंट प्लांट के लिए कंपनी को कच्चे माल के साथ ही अन्य बहुत सारी सामग्री की जरूरत रहती है। इसके कंपनी ने स्थानीय ट्रांसपोर्टरों के साथ अनुबंध किया था, जिसके तहत स्थानीय ट्रांसपोर्टरों की ट्रकों को माल ढुलाई का काम दिया गया था। कुछ स्थानीय लोगों को भी कंपनियों में नौकरी दी गई थी। लेकिन कंपनी में नौकरी करने के साथ-साथ कई लोगों ने अपने परिवार और रिश्तेदारों के नाम पर कंपनी में ट्रकों को लगाया हुआ था। और यह सभी कंपनी में नौकरी करने सहित ट्रांसपोर्टर बनकर भी रोजी-रोटी कमा रहे थे। 

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कंपनी प्रबंधन ने 15 नवंबर को एक सहमति पत्र जारी किया था और ट्रक चालकों को उनके या उनके परिवार के सदस्यों के परिवहन कार्य में लगे ट्रकों का जानकारी मुहैया करने के लिए 90 दिनों का समय दिया था। कई लोगों के ट्रक भी कंपनी में लगे थे तो उन्हें माल ढुलाई करने का कार्य करने या फिर कंपनी में नौकरी का विकल्प चुनने के लिए कहा गया था। लगभग 70 कर्मचारी कंपनी में ऐसे थे उनके ट्रक भी माल ढुलाई के लिए लगे हुए थे। कुछ ट्रांसपोर्टरों ने विकल्प चुना लिया और कईयों ने इसे जबरदस्ती की रणनीति करार दिया था। इसके बाद कंपनी और कुछ ट्रांसपोर्टरों में विवाद शुरू हो गया। 

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माल भाड़े को लेकर चल रहा विवाद वजह

बता दें कि माल भाड़े को लेकर कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटर्स के बीच विवाद चल रहा है। बैठकों के बाद भी विवाद न सुलझने पर कंपनी प्रबंधन ने बुधवार शाम से प्लांट बंद कर दिया। अंबुजा सीमेंट प्लांट को हाल ही में अडानी ग्रुप ने खरीदा है। कंपनी ने सीमेंट, क्लिंकर और कच्चे माल की ढुलाई में लगी ट्रक ऑपरेटर्स सोसायटियों से रेट कम करने को कहा था। कंपनी ने पत्र के माध्यम से कहा कि वे मौजूदा रेट पर माल ढुलाई करने का तैयार नहीं हैं, क्योंकि इसके कारण सीमेंट की उत्पादन लागत बढ़ रही है। इससे कंपनी को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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कंपनी 2005 में तय रेट पर ढुलाई चाहती

कंपनी ने कहा कि यह स्थिति रही तो सीमेंट उत्पादन को ही बंद करना पड़ेगा। कंपनी का कहना है कि सरकार ने 18 अक्तूबर 2005 को मालभाड़ा 6 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर निर्धारित किया था। इसलिए सोसायटियों को इस रेट पर माल ढुलाई करनी होगी। वहीं, ट्रक सोसायटियों का कहना था कि वर्ष 2019 से माल भाड़ा बढ़ना देय है। सरकार ने जब माल भाड़े का रेट तय किया था कि तब कहा गया था कि डीजल के रेट बढ़ेंगे, उसी अनुपात में माल भाड़ा भी बढ़ेगा।

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करीब 15 हजार लोगों पर संकट मंडराया

बता दें कि सीमेंट फैक्ट्री बंद होने से इस कंपनी में कार्यरत करीब 2 हजार कर्मचारियों के रोजगार पर संकट आ गया है। इसके साथ इस फैक्टरी में करीब 3 हजार ट्रक ऑपरेटर्स व ड्राइवरों व कंडक्टरों को भी काम नहीं रहेगा। इस फैसले से करीब 15 हजार लोगों के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पर संकट आ गया है। अंबुजा सीमेंट के दाड़लाघाट स्थित प्लांट में रोजाना 5 से 6 मीट्रिक टन उत्पादन होता है। यहां से देश भर में सीमेंट की सप्लाई होती है।

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