हिमाचल में सीमेंट प्लांट बंदः मंत्रीमंडल के गठन से पहले अग्नि परीक्षा, सरकारी तंत्र विवाद सुलझाने में जुटा
हिमाचल प्रदेश की नवनिर्वाचित सरकार अग्निपरीक्षा से गुजर रही है। सरकारी तंत्र ट्रांसपोर्टरों और एसीसी प्रबंधन के बीच उपजे विवाद में कूद चुका है। शनिवार को पूरे दिन विवाद सुलझाने की कोशिशें होती रहीं।
शिमला। अडाणी समूह ने अपने स्वामित्व वाले हिमाचल प्रदेश के बरमाणा स्थित एसीसी और दाड़लाघाट स्थित अंबुजा सीमेंट प्लांट को बंद कर दिया है। इसके बाद हिमाचल में सरकारी विकास कार्यों से प्रभावित होने के आसार पैदा हो गए हैं। इससे बचने के लिए सरकार ने अल्ट्राटेक कंपनी को सीमेंट आपूर्ति का ऑर्डर दे दिया है। वहीं सरकारी तंत्र ट्रांसपोर्टरों और एसीसी प्रबंधन के बीच उपजे विवाद में कूद चुका है। शनिवार को पूरे दिन विवाद सुलझाने की कोशिशें होती रहीं, मगर कोई भी रास्ता निकलता नजर नहीं आया।
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एसीसी बरमाणा और अंबुजा कंपनी के प्लांटों पर ताले लगने से हिमाचल प्रदेश में सीमेंट आपूर्ति की व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा चुकी है। शनिवार को सीमेंट आपूर्ति पर शिमला से लेकर दिल्ली तक हलचल रही। राज्य सचिवालय में दिन भर फोन घनघनाते रहे। नई दिल्ली से मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू फोन पर पल-पल का अपडेट लेते रहे। मुख्य सचिव आरडी धीमान और प्रधान सचिव मुख्यमंत्री सुभासीष पंडा अपने अधीनस्थ अधिकारियों से लगातार जानकारी लेते रहे। सत्ता संभालते ही हिमाचल की नवनिर्वाचित सरकार अग्निपरीक्षा से गुजर रही है।
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राज्य मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही नई सरकार के सामने यह नई चुनौती खड़ी हो चुकी है। शनिवार को सीएम सुक्खू दिल्ली में थे, तो वहीं से प्रदेश की दो सीमेंट प्लांटों के शटडाउन से खडे़ हुए विवाद का समाधान तलाशते रहे। मुख्य सचिव आरडी धीमान, प्रधान सचिव मुख्यमंत्री सुभासीष पंडा और अन्य अधिकारी सचिवालय से ही सोलन और बिलासपुर के उपायुक्तों से संपर्क में रहे। शनिवार को इन कंपनियों के स्वामित्व वाली अदाणी कंपनी के प्रबंधकों और ट्रांसपोर्टरों के बीच बातचीत के सिरे नहीं चढ़ने से ये अधिकारी चिंतित दिखे।
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एक-एक कर रुकने लगे विकास कार्य
हिमाचल प्रदेश में सीमेंट आपूर्ति की कमी से सरकारी कामकाज एक-एक कर रुकने लगे हैं। पंचायतों में मनरेगा और अन्य कार्यों के लिए पर्याप्त सीमेंट नहीं है। लोक निर्माण विभाग में भी कई क्षेत्रों में डंगों, सड़कों, भवनों आदि के निर्माण कार्य बंद हो गए हैं। आने वाले दिनों में सीमेंट का यह संकट और भी गहरा सकता है। सरकार के निर्माण कार्यों से जुडे़ अधिकारी परेशानी में है कि कैसे काम आगे बढ़ेंगे। सरकारी कांट्रैक्टर भी इससे खुश नहीं हैं। हालांकि सरकार ने अल्ट्राटेंक कंपनी से सीमेंट खरीने को हामी भरते हुए 1.20 लाख सीमेंट बैग का ऑर्डर दे दिया है।
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