लाहौल, पांगी और किन्नौर में ₹1.27 अरब से संरक्षित होगी जैव विविधता

2018 से 2024 तक चलने वाली सिक्योर हिमालय परियोजना (SECURE Himalaya Project) में आजीविका सुरक्षा के उद्देश्य से लाहौल, पांगी और किन्नौर क्षेत्र के 34 गांवों को शामिल किया गया है।

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2018 से 2024 तक चलने वाली सिक्योर हिमालय परियोजना (SECURE Himalaya Project) में आजीविका सुरक्षा के उद्देश्य से लाहौल, पांगी और किन्नौर क्षेत्र के 34 गांवों को शामिल किया गया है।

केलांग। सिक्योर हिमालय परियोजना (SECURE Himalaya Project) की लैंडस्केप लेवल परियोजना प्रबंधन कमेटी की वार्षिक बैठक उपायुक्त लाहौल स्पीति नीरज कुमार की अध्यक्षता में केलांग में हुई। बैठक में जिले के सभी विभागाध्यक्षों ने भाग लिया। बैठक में उपायुक्त ने कहा कि 2018 से 2024 तक चलने वाली इस सिक्योर हिमालय परियोजना (SECURE Himalaya Project) के अंतर्गत आजीविका सुरक्षा के उद्देश्य से प्रदेश के 34 गांव को लाहौल, पांगी और किन्नौर क्षेत्र से लिया गया है। 


उन्होंने कहा कि 1 अरब 27 करोड़ रुपये की इस परियोजना का उद्देश्य जैव विविधता का संरक्षण, आजीविका में विविधता लाना है। इसके साथ वन्य जीव एवं समुदाय के बीच के अंतर्विरोध और संघर्ष को कम करना है। उपायुक्त ने कहा कि परियोजना की अगले वर्ष की रूपरेखा अभी से तैयार की जाएगी। साथ ही धरातल से जुड़े लोगों को इस परियोजना के प्रति जागरूक किया जाए। बैठक में गत वर्ष की समीक्षा व अगले वर्ष की योजना पर विस्तृत चर्चा की गई।


वनमंडल अधिकारी दिनेश शर्मा ने कहा कि सिक्योर हिमालय परियोजना यूएनडीपी, जेफ तथा भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा हिमालय हिम तेंदुआ के प्राकृतिक आवास, हिमालयी वन सम्पदा के संरक्षण संवर्धन सतत आजीविका में बेहतरी के लिए चलाया गया है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य, हिमतेंदुआ के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित करना है। क्योंकि उच्च हिमालय क्षेत्र संवेदनशील है और लैंडस्केप को सुरक्षित करना और लोगों की आजीविका को मजबूत व संरक्षण प्रदान करना है।


दिनेश शर्मा ने बताया कि सिक्योर हिमालय परियोजना की वार्षिक बैठक में पिछले कार्यो की समीक्षा की साथ ही अगले वर्ष किये जाने वाले कार्यों की समीक्षा भी की। राज्य परियोजना अधिकारी मनोज सहित, यूएनडीपी के स्वयंसेवी अभिषेक ने भी परियोजना में संरक्षण तथा समुदाय की आजीविका विषयों पर प्रस्तुति देते हुए बताया कि परियोजना में सामुदाय की भूमिका सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। 


इसके लिए उपलब्ध आजीविका के साधनों को मजबूत करना तथा नव आजीविका के साधनों की संभावनाओं को तलाशने पर कार्य किया जा रहा है। इसके अंतर्गत इस क्षेत्र के परंपरागत उत्पाद को जीआई टैगिंग तथा विपणन का प्रबन्ध करना, पर्यटन का को आजीविका से जोड़ना आदि पर बल दिया जाएगा। बैठक में सहायक आयुक्त डॉ. रोहित शर्मा, उपमंडलाधिकारी उदयपुर निशांत तोमर, खण्ड विकास अधिकारी डॉ विवेक गुलेरिया भी उपस्थित रहे।

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