पांगी को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाने की उठी मांग, राज्यपाल के पास पहुंचे लोग

पंगवाल एकता मंच राजभवन पहुंचा और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। मंच ने भरमौर से अलग कर पांगी को अलग विधानसभा बनाने के साथ स्वयत विकास परिषद का गठन करने की मांग रखी।
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हिमाचल प्रदेश में चुनावी वर्ष में जिला चम्बा के जनजातीय क्षेत्र पांगी को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाने की मांग फिर से उठने लगी है। बुधवार को पंगवाल एकता मंच राजभवन पहुंचा और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। मंच ने भरमौर से अलग कर पांगी को अलग विधानसभा बनाने के साथ स्वयत विकास परिषद का गठन करने की मांग रखी। इसके अलावा चेनी टनल का निर्माण करने की भी मांग की। एकता मंच ने साफ कर दिया कि यदि इन मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया तो पांगी के लोग विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

हिमाचल प्रदेश में चुनावी वर्ष में जिला चम्बा के जनजातीय क्षेत्र पांगी को अलग विधानसभा क्षेत्र बनाने की मांग फिर से उठने लगी है। बुधवार को पंगवाल एकता मंच राजभवन पहुंचा और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। मंच ने भरमौर से अलग कर पांगी को अलग विधानसभा बनाने के साथ स्वयत विकास परिषद का गठन करने की मांग रखी। इसके अलावा चेनी टनल का निर्माण करने की भी मांग की। एकता मंच ने साफ कर दिया कि यदि इन मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया तो पांगी के लोग विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे।

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पंगवाल एकता मंच के अध्यक्ष त्रिलोक ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र न होने से पांगी घाटी विकास के क्षेत्र में हर रोज पिछड़ रही है। पांगी में 16 हजार से ज्यादा मतदाता हैं और सर्दी के मौसम में छह माह तक देश-प्रदेश से पांगी घाटी कटी रहती है। जनजातीय क्षेत्र पांगी की इस समस्या को हल निकालने के लिए सरकार की ओर से आज तक कोई भी उचित कदम नहीं उठाए गए हैं। पांगी को भरमौर विधानसभा के साथ रखा गया है, जबकि दोनों क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं।  

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त्रिलोक ने कहा कि क्षेत्र के लोगों को भरमौर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। 2026 में होने वाली डिलिमिटेशन में पांगी को अलग से विधानसभा बनाए जाए। इसके अलाव पांगी स्वयत विकास परिषद का जल्द गठन करने का अग्राह किया गया है, साथ ही चेनी टनल निर्माण की मांग को लेकर राज्यपाल के माध्यम से प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री को भी ज्ञापन भेजा गया है। उन्होंने कहा कि इसी वर्ष प्रदेश में चुनाव होने हैं, यदि सरकार मांगों को नहीं मानती है तो सभी दलों का बहिष्कार कर नोटा दबाएंगे।

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