चुनावी सालः कुछ बड़ा करेंगे निक्का, नूरपुर भाजपा के लिए बनेगा नासूर

नूरपुर की सियासत में इस बार कुछ बड़ा होने वाला है। इसके संकेत साफ मिल रहे हैं। नूरपुर में जहां भाजपा में गुटबाजी को हवा मिल रही है, तो वहीं सत्तासीन भाजपा के लिए यह खतरे की घंटी भी है।
 | 
नूरपुर की सियासत में इस बार कुछ बड़ा होने वाला है। इसके संकेत साफ मिल रहे हैं। नूरपुर में जहां भाजपा में गुटबाजी को हवा मिल रही है, तो वहीं सत्तासीन भाजपा के लिए यह खतरे की घंटी भी है। वर्ष 2012 में भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके रणवीर सिंह निक्का ने हल्के में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसके साथ ही जनसंपर्क अभियान भी छेड़ दिया है। साथ ही निक्का ने साफ कर दिया है कि इस बार वह विधानसभा चुनाव लड़कर रहेंगे। इससे साफ है कि चुनावी साल में भाजपा के लिए नूरपुर भाजपा के लिए नासूर भी बन सकता है।

नूरपुर की सियासत में इस बार कुछ बड़ा होने वाला है। इसके संकेत साफ मिल रहे हैं। नूरपुर में जहां भाजपा में गुटबाजी को हवा मिल रही है, तो वहीं सत्तासीन भाजपा के लिए यह खतरे की घंटी भी है। वर्ष 2012 में भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके रणवीर सिंह निक्का ने हल्के में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसके साथ ही जनसंपर्क अभियान भी छेड़ दिया है। साथ ही निक्का ने साफ कर दिया है कि इस बार वह विधानसभा चुनाव लड़कर रहेंगे। इससे साफ है कि चुनावी साल में भाजपा के लिए नूरपुर भाजपा के लिए नासूर भी बन सकता है।

हाल ही में रणवीर सिंह निक्का को भाजपा ने पार्टी के महामंत्री पद से हटा दिया है। इसको लेकर रियलिटी न्यूज से बात करते हुए रणवीर सिंह निक्का ने कहा कि किसी नेता के कहने पर यह कहा गया कि पार्टी को समय देने वाला कार्यकर्ता चाहिए, ऐसे में मैंने पद छोड़ दिया है। हालांकि उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि किसी नेता के कहने पर प्राथमिक सदस्यता को रद्द करने की बात भी चली थी, तो मगर पार्टी में हजारों कार्यकर्ता होते हैं, कितनों को इस तरह से पार्टी से निकाला जा सकता है।

वहीं, इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर उन्होंने कहा कि वह विधानसभा चुनाव अवश्य लड़ेंगे। इसकी तैयारियां जारी हैं। उन्होंने कहा कि आजतक नूरपुर के जो भी जनप्रतिनिधि बने पठानकोट में घर बनाकर बैठे हुए हैं। पठानकोट से आकर नूरपुर में बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन अब लोगों को यह समझ आ गया है कि असल में नूरपुर का साथ कौन दे सकता है और नूरपुर को विकास की राह पर आगे बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि नूरपुर को स्थानीय नेता चाहिए और लोगों ने इस बार मन बना लिया है।


सत्ता मिलते ही हुकुमरां कार्यकर्ता को भूल गए
कार्यकर्ता किसी भी पार्टी की रीढ़ की हड्डी होता है, कार्यकर्ता जितना मजबूत एवं संगठित होगा पार्टी उतनी ही तरक्की करेगी.... नूरपुर में भी कार्यकर्ता ने अपनी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए अपना खून पसीना बहाया, लेकिन सत्ता मिलते ही यहां के हुकुमरां उसी कार्यकर्ता को भूल गए। उसको सम्मान मिलना, उसके कार्य होना तो दूर की बात उसे बिल्कुल भुला दिया गया। मैं कार्यकर्ता की आवाज़ हूं... और ये आवाज़ ऐसे ही उठती रहेगी, अपना हक़ मांगेगी... आपके तुगलकी फरमान इसे चुप नहीं करा सकते। नूरपुर के स्वाभिमान की लड़ाई निरंतर जारी रहेगी और आने वाले विधान सभा चुनाव में आपको इसका करारा जवाब मिलेगा। 


नूरपुर में नहीं चलने देंगे परिवार वाद की राजनीति 
रणवीर सिंह निक्का ने वन मंत्री राकेश पठानिया का नाम लिए वगैर कहा कि सवा चार साल के कार्यकाल में एक भी बार नेता जी आम जनता में नहीं गए और न ही लोगों की समस्याओं का कोई समाधान किया। उन्होंने सवाल किया था मलकवाल नर्सिंग कॉलेज के कार्य का ब्योरा दें कि उन्होंने कॉलेज के कार्य के दौरान कितना निर्माण सामान उपयोग किया और कितनी रॉयल्टी का भुगतान किया। उन्होंने सरकार से मांग की थी कि प्रदेश सरकार नूरपुर क्षेत्र में नेता   ओर से किए गए भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की जांच करवाए। वन मंत्री की ओर से हमेशा आवाज उठाने वाले की आवाज दबाने के प्रयास किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि वन मंत्री नूरपुर क्षेत्र में अपनी होर्डिंग में अपने बेटे की फोटो लगाकर राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक  करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।