हिमाचल: जमीन की रजिस्ट्री के बाद अब ऑनलाइन होगा इंतकाल

हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ी सौगात दी है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद अपने आप ऑनलाइन इंतकाल दर्ज हो जाएगा।
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हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ी सौगात दी है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद अपने आप ऑनलाइन इंतकाल दर्ज हो जाएगा।

हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ी सौगात दी है। अब जमीन की रजिस्ट्री के तुरंत बाद अपने आप ऑनलाइन इंतकाल दर्ज हो जाएगा। राजस्व विभाग की वेबसाइट ehimbhoomi.nic.in पर यह सुविधा उपलब्ध है। नई व्यवस्था से लोगों को पटवारघरों व तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

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पहले रजिस्ट्री की नकल लेकर पटवारी के पास इंतकाल दर्ज करवाने जाना पड़ता था। इसके बाद संबंधित पटवार सर्कल का दौरा कर तहसीलदार इंतकाल चढ़ाता था।  इसके अलावा प्रदेश के लोग अब अपनी जमीन का पंजीकरण, निशानदेही, जमाबंदी, इंतकाल और चार्ज क्रिएशन/वीकेशन के लिए भी ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए भी पटवारघरों के चक्कर नहीं काटने होंगे।


राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) की मदद से हिमाचल प्रदेश के राजस्व विभाग ने मेघ (मॉड्यूल अंडर ई गवर्नेंस टू हेल्प द सिटीजन) मॉड्यूल विकसित किया है। इससे लोग घर बैठे मोबाइल से ऑनलाइन एक क्लिक पर खसरा नंबर डालकर आवेदन कर सकते हैं। रजिस्ट्री की नकल ऑनलाइन भी प्राप्त हो जाएगी। नई व्यवस्था शुरू होने के बाद राजस्व कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश भू-अभिलेख निदेशक हंसराज चौहान ने बताया कि प्रदेश के 12 जिलों की 177 तहसीलों में यह सुविधा शुरू कर दी गई है। वित्त आयुक्त राजस्व ओंकार चंद शर्मा के मार्गदर्शन में मेघ प्रणाली से संबंधित मामलों की मानीटरिंग की जा रही है। मौजूदा समय में निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी (तहसीलदार) विक्रमजीत सिंह इस कार्य को प्रदेश भर में सुचारु रूप से संचालित कर रहे हैं। 

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जमाबंदी की अपडेशन ऑनलाइन होगी

मेघ-जमाबंदी के माध्यम से पटवारी जमाबंदी की अपडेशन अब ऑनलाइन रिकार्ड में दर्ज कर सकेंगे। लोग भी जमीन की नकल, ततीमा और शजरा नस्ब राजस्व रिकॉर्ड के अलावा भूमि के विवरण, पूरे गांवों का नक्शे सहित गांवों से जुड़े अन्य गांवों की जानकारी भी ऑनलाइन ले सकेंगे।

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केसीसी संबंधित औपचारिकताएं बैंक में हो जाएंगी पूरी

मेघ प्रणाली से बैंकों को लॉग इन आईडी की सुविधा दी गई है। आवेदनकर्ता तहसील एवं पटवार सर्कल के चक्कर काटने के बजाय सीधे बैंक में जाकर केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर सकेंगे। बैंक के पास भी राजस्व रिकॉर्ड की जानकारी उपलब्ध रहेगी।

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