Himachal News : हिमाचल में दो साल से अधिक समय से खाली सभी पदों को खत्म करने के आदेश

हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो साल या उससे अधिक समय से खाली पड़े सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी अस्थायी और नियमित पदों को समाप्त करने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय राज्य में वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक खर्चों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है।
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हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो साल या उससे अधिक समय से खाली पड़े सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी अस्थायी और नियमित पदों को समाप्त करने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय राज्य में वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक खर्चों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है।  प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार ने इस संदर्भ में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, राज्यपाल के सचिव, विधानसभा सचिव और राज्य उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजा है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो साल या उससे अधिक समय से खाली पड़े सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में सभी अस्थायी और नियमित पदों को समाप्त करने का आदेश जारी किया है। यह निर्णय राज्य में वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक खर्चों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है।

प्रधान सचिव वित्त देवेश कुमार ने इस संदर्भ में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, राज्यपाल के सचिव, विधानसभा सचिव और राज्य उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजा है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे सभी रिक्त पदों को जल्द से जल्द, एक हफ्ते के भीतर बजट बुक से भी हटवाया जाए। इसके पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य उन पदों को हटाना है जिन पर लंबे समय से नियुक्ति नहीं हो पाई है।

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राज्य सरकार ने पहले भी इस तरह के दिशा-निर्देश 14 अगस्त 2012 को जारी किए थे, जिसमें उन पदों की जानकारी देने को कहा गया था जो दो साल से अधिक समय से खाली हैं। हालांकि, सरकार ने देखा कि संबंधित विभागों द्वारा इस निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है, और न ही वित्त विभाग को इस संबंध में पूरी जानकारी दी जा रही है।

इसके परिणामस्वरूप, अब दो साल या उससे अधिक समय से खाली पड़े पदों को हटाने का यह सख्त आदेश जारी किया गया है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐसे पदों को भरने का कोई प्रस्ताव अब वित्त विभाग को न भेजा जाए। संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए। यदि इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो इसके लिए संबंधित विभाग या संगठन उत्तरदायी माने जाएंगे।

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सार्वजनिक उपक्रमों, बोर्डों और विश्वविद्यालयों पर भी लागू होंगे आदेश

सरकारी निर्देश केवल विभागों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों, बोर्डों, निगमों, राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य चयन आयोग, विद्युत नियामक आयोग, सभी उपायुक्तों और राज्य के सभी विश्वविद्यालयों पर भी लागू होंगे। इस संदर्भ में सभी प्रमुख कार्यकारी अधिकारियों, प्रबंध निदेशकों, और कुलपतियों को आदेश भेजे गए हैं, ताकि वे अपने अधीन आने वाले रिक्त पदों की जानकारी जल्द से जल्द बजट से हटा सकें।

सरकार की वित्तीय अनुशासन पर सख्ती

इस निर्णय से राज्य सरकार का उद्देश्य वित्तीय भार को कम करना और खर्चों को नियंत्रित करना है। सरकार का मानना है कि अस्थायी और नियमित रिक्त पदों को खत्म कर वेतन और अन्य प्रशासनिक खर्चों को बचाया जा सकता है। राज्य सरकार का यह कदम वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने और सरकारी मशीनरी को अधिक कुशल बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

सरकारी बोझ घटाने की पहल

वित्त विभाग के इस निर्देश का असर राज्य के हजारों रिक्त पदों पर पड़ेगा, जिनका बोझ अब सरकार के बजट से हट जाएगा। राज्य सरकार के इस निर्णय से सरकारी खर्चों में कटौती और वित्तीय भार को कम करने में मदद मिलेगी, जो राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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