Himachal News : कॉलेज प्राचार्य प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में नहीं, फैसला सरकार पर छोड़ा

हिमाचल के काॅलेजों के प्राचार्य प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव करवाने के पक्ष में नहीं हैं। प्राचार्य इस बार भी मेरिट आधार पर एससीए का गठन चाहते हैं। शिमला में हिमाचल प्रदेश विवि (एचपीयू) और सरदार पटेल विवि (एसपीयू) की खेल एवं पाठ्येत्तर गतिविधि परिषद की बैठक में विभिन्न काॅलेजों से पहुंचे प्राचार्यों ने प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर अपनी राय रखी।
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HPU Shimla Photo

शिमला ।   हिमाचल के काॅलेजों के प्राचार्य प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव करवाने के पक्ष में नहीं हैं। प्राचार्य इस बार भी मेरिट आधार पर एससीए का गठन चाहते हैं।  शिमला में हिमाचल प्रदेश विवि (एचपीयू) और सरदार पटेल विवि (एसपीयू) की खेल एवं पाठ्येत्तर गतिविधि परिषद की बैठक में विभिन्न काॅलेजों से पहुंचे प्राचार्यों ने प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर अपनी राय रखी। एचपीयू के कुलपति प्रो. एसपी बंसल ने प्राचार्यों से चुनाव करवाने के बारे में राय ली।  बैठक में प्राचार्यों ने प्रत्यक्ष चुनाव न करवाने की सलाह दी।

प्राचार्यों ने कहा कि प्रत्यक्ष चुनाव करवाने से काॅलेजों समेत विवि में अकादमिक सेशन गड़बड़ा जाएगा और कक्षाएं प्रभावित होंगी। अगर चुनाव प्रत्यक्ष करवाए जाते हैं तो चुनावी प्रक्रिया में कम से कम एक माह से अधिक का समय लगेगा, ऐसे में पढ़ाई प्रभावित होगी। लिहाजा, कॉलेजों में अप्रत्यक्ष रूप से मेरिट आधार पर एससीए का गठन होना चाहिए। कुलपति एक दो दिन में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे। चुनाव प्रत्यक्ष होंगे या मेरिट पर, अब इसका फैसला सरकार ही लेगी। बता दें कि विवि और कॉलेजों में हिंसा बढ़ने के कारण प्रत्यक्ष चुनाव वर्ष 2013 में बंद हैं। 

कॉलेजों की नेक से ग्रेडिंग करवाने के निर्देश
बैठक में कुलपति ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को यूजीसी नेक टीम का दौरा करवाकर ग्रेडिंग करवाने के निर्देश दिए। कहा कि कॉलेज चाहे छोटा हो या बड़ा, ग्रेडिंग करवाना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि अब कॉलेजों के पात्र शिक्षक सभी विषयों में भी पीएचडी करवा सकेंगे, इसके लिए वे गाइड बन सकेंगे। यह फैसला हो चुका है, विवि जल्द अधिसूचना जारी करेगा।



परिणाम जल्द निकालेगा विवि, लागू होगी क्लस्टर प्रणाली
परीक्षा परिणाम जल्द से जल्द निकाले जा सकें उसके लिए क्लस्टर प्रणाली अपनाई जाएगी। इसके लिए काॅलेजों को जोन में बांटा जाएगा और एक नोडल महाविद्यालय बनाकर वहां पर ही पेपरों का मूल्यांकन किया जाएगा। इससे करीब डेढ़ महीने का समय बचेगा और परिणाम एक माह के भीतर निकाले जा सकेंगे। प्राचार्यों ने इस प्रयास की सराहना की और सहयोग करने की बात कही। प्राचार्यों ने कॉलेजों की व्यवस्थाओं में और सुधार लाने के सुझाव दिए।

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