हिमाचल में ऑनलाइन मिलेंगे विवाह, जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र, दफ्तरों के चक्कर से मिलेगा छुटकारा
शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब ग्राम पंचायतों द्वारा जारी किए जाने वाले विवाह, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाएंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने यह महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि यह कदम प्रदेश के नागरिकों के लिए सरकारी सेवाओं को और अधिक सुगम और पारदर्शी बनाने की दिशा में है। मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान यह जानकारी दी।
ऑनलाइन विवाह, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र की सुविधा से लोगों को कई तरह के फायदे होंगे।
1. समय और संसाधनों की बचत
अब लोगों को इन प्रमाण पत्रों के लिए बार-बार पंचायत या संबंधित सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लोग अपने घर बैठे ही प्रमाण पत्र ऑनलाइन प्राप्त कर सकेंगे। इससे समय और परिवहन लागत की बचत होगी।
2. पारदर्शिता और भ्रष्टाचार में कमी
ऑनलाइन सेवाओं से सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी। इसके साथ ही दलालों या बिचौलियों के हस्तक्षेप की संभावना कम हो जाएगी, जिससे भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। लोग सीधे पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकेंगे और उन्हें निश्चित समय सीमा में सेवाएं मिलेंगी।
3. दूर-दराज के क्षेत्रों के लिए विशेष राहत
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों के लिए यह सुविधा एक बड़ी राहत साबित होगी। अब उन्हें प्रमाण पत्र के लिए शहरों का रुख करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह उन बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए भी मददगार होगा, जो लंबे सफर या सरकारी कार्यालयों में चक्कर लगाने में असमर्थ होते हैं।
4. रिकॉर्ड की डिजिटल सुरक्षा
ऑनलाइन पोर्टल से जारी किए गए सभी प्रमाण पत्रों का डिजिटल रिकॉर्ड सरकारी डेटाबेस में सुरक्षित रहेगा। इससे रिकॉर्ड खो जाने या पुराने कागजात खराब होने जैसी समस्याओं से भी निजात मिलेगी।
5. आपातकालीन स्थितियों में त्वरित सेवा
कई बार इन प्रमाण पत्रों की जरूरत तत्काल होती है, जैसे कि किसी सरकारी योजना का लाभ उठाने या किसी कानूनी दस्तावेज की प्रक्रिया के लिए। ऑनलाइन सेवा से ऐसे आपातकालीन स्थितियों में भी तुरंत प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकेगा, जिससे देरी की समस्या नहीं रहेगी।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास को दी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार प्रदेश के ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने मनरेगा के तहत 2024-25 में 300 लाख श्रम दिवस अर्जित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 214.51 लाख श्रम दिवस पहले ही अर्जित किए जा चुके हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि 2024-25 में प्रदेश के 17,582 गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ प्लस) मॉडल बनाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 9203 गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है, जबकि 2347 गांव ओडीएफ प्लस वेरीफाइड किए गए हैं।
महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में 43,161 स्वयं सहायता समूह (SHGs) बनाए गए हैं। इन समूहों को समुचित आर्थिक सहायता दी जा रही है और उनके उत्पादों को बेहतर विपणन अवसर प्रदान करने के लिए 93 हिम ईरा दुकानें स्थापित की गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम ईरा ब्रांड के तहत इन समूहों के उत्पादों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे इनके उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी और महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न विकास खंडों में 32 प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें से 26 इकाइयां कार्यशील हैं। यह इकाइयां प्रदेश के स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को और मजबूत करेंगी। इस महत्वपूर्ण बैठक में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह सहित मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव देवेश कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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