HP Govt Employees : अफसरशाही का सरकार को ओपीएस से पीछे हटने का सुझाव, लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू तैयार नहीं
शिमला । महंगाई भत्ता और नए वेतनमान का एरियर देने की मांग को लेकर आक्रामक हुए कुछ कर्मचारी संगठनों के प्रदर्शन के बीच अफसरशाही ने सरकार को पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) से पीछे हटने का सुझाव दिया है। सरकार के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को सलाह दी है। यह भी कहा है कि ऐसा नहीं किया गया तो आर्थिक प्रबंधन में बड़ी मुश्किल आ सकती है।
अधिकारियों ने तो यहां तक कह डाला है कि एरियर और महंगाई भत्ता देना है तो इसके लिए सरकारी कोष में पर्याप्त बजट को जुटाना मुश्किल है। ओपीएस के साथ सारी देनदारियां निपटाने से आने वाले वक्त में कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, मुख्यमंत्री सुक्खू कांग्रेस की पहली गारंटी होने और सामाजिक सुरक्षा का मामला होने के चलते ओपीएस को लेकर पीछे हटने के कतई पक्ष में नहीं हैं। वह अन्य उपायों को तलाशने की बात कर रहे हैं। पिछले दो दिनों से फिजूलखर्ची के लिए कर्मचारियों के निशाने पर चल रही सरकार और इसकी अफसरशाही से मुख्यमंत्री ने स्थिति साफ करने को कहा तो अब अधिकारी फिर से इस बात को दोहराने लगे हैं कि ओपीएस पर समय रहते सरकार पीछे हट सकती है।
राज्य सचिवालय में भी इस विषय पर गंभीर मंथन हो रहा है। प्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज, केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाओं के वित्तपोषण में सीलिंग लगाने और विकास योजनाओं के लिए बजट की कमी के बीच अफसरशाही ने भविष्य के संकट से उबरने के लिए यह सुझाव दिया है। सूत्रों के अनुसार शीर्ष अधिकारी मुख्यमंत्री से इस विषय को लगातार उठा रहे हैं। प्रदेश की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने की सलाह दी है।
अधिकारियों का यह भी तर्क है कि केंद्र ने ओपीएस को लागू करने की हलचल के बीच ही कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। एनपीएस कर्मचारियों के करीब 9,000 करोड़ रुपये केंद्र के पास फंसे हैं। आपदा से भी हिमाचल प्रदेश में बहुत नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए केंद्र से 10 हजार करोड़ रुपये मांगे गए थे, जो नहीं मिले हैं।
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