हिमाचलः BJP का मिशन रिपीट करवा सकती है कांग्रेस! AAP ने बढ़ाई टेंशन

आम आदमी पार्टी मजबूती के साथ हिमाचल में एंट्री करने की कोशिश में है तो भाजपा पहली बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। मगर हिमाचल की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस चर्चा से ही परे है।
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हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी मजबूती के साथ हिमाचल में एंट्री करने की कोशिश में है तो भाजपा पहली बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। मगर हिमाचल की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस चर्चा से ही परे है। ऐसे में कांग्रेस को लेकर यह सवाल उठने लगा है कि क्या यहां भी वह पंजाब की कहानी रिपीट होने देगी। पंजाब में आपसी कलह के चलते कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के मुकाबले करारी हार का सामना करना पड़ा था।

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी मजबूती के साथ हिमाचल में एंट्री करने की कोशिश में है तो भाजपा पहली बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। मगर हिमाचल की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस चर्चा से ही परे है। ऐसे में कांग्रेस को लेकर यह सवाल उठने लगा है कि क्या यहां भी वह पंजाब की कहानी रिपीट होने देगी। पंजाब में आपसी कलह के चलते कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के मुकाबले करारी हार का सामना करना पड़ा था। पड़ोसी राज्य हिमाचल में भी लीडरशिप को लेकर वह पसोपेश की स्थिति से गुजर रही है। यही हाल रहा तो कांग्रेस हिमाचल में भाजपा के मिशन रिपीट करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। 

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हिमाचल में चुनावी साल में आप और भाजपा पूरी तरह से एक्टिव मोड में हैं। मंडी जिले में अप्रैल के पहले सप्ताह में अरविंद केजरीवाल रोड शो कर चुके हैं। इसके अलावा भाजपा 6 अप्रैल को अपने स्थापना दिवस के मौके पर प्रदेशभर में कार्यक्रम कर चुकी है। अब दोनों पार्टियां अगले राउंड की तैयारी में हैं। 22 अप्रैल को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा कांगड़ा के नगरोटा बगवां में रोड शो करने वाले हैं और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल भी कांगड़ा के चम्बी मैदान में 23 अप्रैल को एक रैली करने वाले हैं। वही, कांग्रेस पार्टी स्टेट यूनिट के लीडरशिप के सवाल को ही हल नहीं कर सकी है। एक तरफ वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह अपनी दावेदारी पेश करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ कौल सिंह ठाकुर गुट भी सक्रिय है।

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AAP को इनसे है उम्मीद, CM फेस नहीं किया घोषित

हिमाचल प्रदेश में सिर्फ 1998 में ही तीसरे मोर्चे को सरकार बनाने का मौका मिला था। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन करने के बाद भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी। लेकिन हिमाचल विकास कांग्रेस ज्यादा नहीं चली और अगले चुनाव में उसका विलय कांग्रेस में ही हो गया और कुछ नेता भाजपा में चले गए। इस बार आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि वह टू पार्टी सिस्टम वाले राज्य में तीसरे विकल्प के नाम पर कुछ सफलता पा सकती है। भले ही आप ने किसी नेता को सीएम फेस घोषित नहीं किया है, लेकिन वह भाजपा और कांग्रेस के बागियों को साधने की कोशिश में है। इसके अलावा आप सामाजिक तौर पर सक्रिय कुछ नामों पर भी दांव लगाना चाहती है।

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AAP की सक्रियता क्यों भाजपा को कर रही है खुश

हालांकि यह चुनाव आम आदमी पार्टी के साथ ही भाजपा को भी राहत देने जैसा लग रहा है। माना जाता है कि भाजपा का वोटर उसके साथ डटा रहता है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की सक्रियता कांग्रेस के वोटों में सेंध लगा सकती है और यह स्थिति भाजपा के लिए फायदेमंद होगी, जो पहली बार लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस फिलहाल न तो किसी नेता को सीएम फेस घोषित करने की स्थिति में है और न ही वह यह जताने की कोशिश कर रही है कि किसकी लीडरशिप में वह चुनावी समर में उतरेगी।

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