...तो फिर हिमाचल में उपचुनाव होने वाले हैं, जानें सीएम सुक्खू के नौ विधायकों वाले बयान के मायने

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के उस बयान के बाद हिमाचल में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है, जिमसें उन्होंने जयराम ठाकुर को भाजपा के नौ विधायकों की चिंता करने की सलाह दी थी।
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मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के उस बयान के बाद हिमाचल में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है, जिमसें उन्होंने जयराम ठाकुर को भाजपा के नौ विधायकों की चिंता करने की सलाह दी थी। सीएम सुक्खू ने कहा था, ''नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सरकार बनाने के सपने लेना छोड़ दें। हमारे पास 38 विधायक हैं। हाईकोर्ट में चल रहे सीपीएस के मामले को लेकर जयराम लोगों को बहका रहे हैं। जयराम को अपने नौ विधायकों की चिंता करनी चाहिए, जिनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लंबित है।"

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के उस बयान के बाद हिमाचल में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है, जिमसें उन्होंने जयराम ठाकुर को भाजपा के नौ विधायकों की चिंता करने की सलाह दी थी। सीएम सुक्खू ने कहा था, ''नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सरकार बनाने के सपने लेना छोड़ दें। हमारे पास 38 विधायक हैं। हाईकोर्ट में चल रहे सीपीएस के मामले को लेकर जयराम लोगों को बहका रहे हैं। जयराम को अपने नौ विधायकों की चिंता करनी चाहिए, जिनके खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लंबित है।"

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उन्होंने कहा था, "भाजपा के नौ विधायकों ने बीते बजट सत्र के दौरान विधानसभा में गुंडागर्दी का नंगा नाच किया था। स्पीकर के सामने सदन पटल पर रखे कागजात को फाड़कर हवा में लहराया था। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की ओर से दी गई याचिका पर स्पीकर को फैसला लेना है। कांग्रेस विधायक दल ने इस मामले में जल्दी फैसला लेने का आग्रह किया है। अगर ये नौ विधायक अयोग्य घोषित हुए तो दोबारा चुनाव में एक-दो ही गलती से जीतकर आएंगे, जिससे कांग्रेस विधायकों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है।"

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हमीरपुर में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कांग्रेस प्रत्याशी रहे डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा की नामांकन रैली के दौरान बीते दिन कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर सरकार बनाने के सपने लेना छोड़ दें। कांग्रेस के पास 38 विधायक हैं। जयराम ठाकुर को अपने नौ विधायकों की चिंता करनी चाहिए। उनके नौ विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका लंबित है।

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सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू के इस बयान से हमीरपुर, देहरा और नालागढ़ के उपचुनाव की प्रक्रिया के बीच नई राजनीतिक सुगबुगाहट शुरू हो गई है। अगर विधानसभा स्पीकर भाजपा के नौ विधायकों के अयोग्य घोषित कर देते हैं तो एक बार फिर हिमाचल में उपचुनाव होंगे। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद छह विधानसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव के साथ उपचुनाव हो चुके हैं। इसके बाद तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद फिर उपचुनाव हो रहे हैं। यानी कुल मिलाकर लगभग 16 महीने के अंतराल में तीसरी बार विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। 

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बता दें कि भाजपा के नौ विधायकों इंद्र सिंह गांधी, विपिन सिंह परमार, विनोद कुमार, हंसराज, सतपाल सिंह सत्ती, दीपराज, त्रिलोक जम्वाल, लोकेंद्र कुमार और सुरेंद्र शौरी के खिलाफ कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी और जगत सिंह नेगी ने विधानसभा स्पीकर के पास शिकायत दी थी विधायकों को संविधान के अनुच्छेद-194 के तहत ये नोटिस जारी किए गए थे। इसके साथ ही नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि यदि विधायक निश्चित समयावधि के भीतर अपना जवाब नहीं देते तो विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया नियमानुसार कार्रवाई कर सकते हैं। 

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