कालका-शिमला रेल लाइन पर ग्रीन हाइड्रोजन से चल सकती है ट्रेन, जानें क्या है प्रस्ताव

सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्रीय रेल मंत्रालय से कालका-शिमला यूनेस्को विश्व धरोहर रेल लाइन को ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित करने की संभावना पर विचार करने का आग्रह किया है।
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कालका-शिमला रेलवे लाइन जल्द ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen Operation) से संचालित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) ने इस संबंध में केंद्रीय रेल मंत्रालय से आग्रह किया है। कालका-शिमला यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO Heritage Site) रेल लाइन है।  सीएम सुक्खू ने सोमवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय रेल मंत्रालय से कालका-शिमला यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO Heritage Site) रेल लाइन को ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen Operation) से संचालित करने की संभावना पर विचार करने का आग्रह किया है। इस संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।

शिमला। कालका-शिमला रेलवे लाइन जल्द ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen Operation) से संचालित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) ने इस संबंध में केंद्रीय रेल मंत्रालय से आग्रह किया है। कालका-शिमला यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO Heritage Site) रेल लाइन है।

सीएम सुक्खू ने सोमवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय रेल मंत्रालय से कालका-शिमला यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO Heritage Site) रेल लाइन को ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen Operation) से संचालित करने की संभावना पर विचार करने का आग्रह किया है। इस संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को ग्रीन एनर्जी स्टेट (Himachal Green Energy State) के रूप में स्थापित करने के लिए राज्य सरकार छह सूत्रीय रणनीति पर काम कर रही है। राज्य की 1,500 मिलियन यूनिट थर्मल पावर खपत को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बदलने की योजना है। वर्तमान में हिमाचल की 90 प्रतिशत बिजली खपत नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी हो रही है, जिससे यह देश का पहला पूर्णत: हरित ऊर्जा राज्य बन सकेगा।

हिमाचल प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें अगले चार से पांच वर्षों में 2,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य है। इसी दिशा में ‘ग्रीन पंचायत’ योजना के तहत 500 किलोवाट क्षमता वाले ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट पंचायत स्तर (Green Panchayat Scheme) पर स्थापित किए जा रहे हैं।

हिमाचल सरकार ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की दिशा में भी काम कर रही है। ऑयल इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए निजी निवेशकों से भी बातचीत हो रही है। इसके अलावा, प्रदेश में 1,500 बसों को इलेक्ट्रिक बसों (Electric Vehicles (EVs)) में बदलने और छह राष्ट्रीय राजमार्गों पर ग्रीन कॉरिडोर (Green Corridors in Himachal) विकसित करने की योजना है।

प्रदेश सरकार की ‘राजीव गांधी स्टार्टअप योजना’ के तहत युवाओं को इलेक्ट्रिक टैक्सी और बसें खरीदने पर 50% अनुदान दिया जा रहा है। इसके साथ ही, राज्य में पर्यावरण अनुकूल उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नए उद्योगों पर सख्त मानक संचालन प्रणाली लागू की जा रही है।

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