वाहनों के विशेष फेन्सी नम्बर जारी करने को संशोधित ई-ऑक्शन प्रणाली पुनः आरंभ

संशोधित ई-ऑक्शन प्रणाली के अनुसार आवेदनकर्ता सोमवार से लेकर शनिवार तक विभागीय पोर्टल पर अपनी पसन्द के विशेष नम्बरों के लिए बोली में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं। पंजीकरण करवाने वाले आवेदनकर्ता को विशेष वाहन नंबरों के लिए निर्धारित आधार मूल्य का 30 प्रतिशत अग्रिम राशि जमा करवाना अनिवार्य होगा।
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शिमला ।   निदेशक परिवहन विभाग, अनुपम कश्यप  ने  बताया कि परिवहन विभाग द्वारा वाहनों के लिए अपनी पसन्द के विशेष फेन्सी नम्बर (पंजीकरण चिन्ह) जारी करने के लिए संशोधित ई-ऑक्शन   प्रणाली 16 मई, 2023 से पुनः आरंभ कर दी गई है। उन्होंने बताया कि उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विभाग को ई-ऑक्शन प्रणाली में संशोधन के  लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे, ताकि भविष्य में कोई भी शरारती तत्व संशोधित प्रणाली के साथ छेड़छाड़ न कर सके।


उन्होंने बताया कि शुरुआती चरण में संशोधित प्रणाली को बैजनाथ और शिमला पंजीकरण प्राधिकरण में आरंभ किया जाएगा। इसके सफल परीक्षण के उपरांत आगामी दिनों में संशोधित प्रणाली को प्रदेश के अन्य सभी प्राधिकरणों में शुरू कर दिया जाएगा। संशोधित ई-ऑक्शन प्रणाली के अनुसार आवेदनकर्ता सोमवार से लेकर शनिवार तक विभागीय पोर्टल पर अपनी पसन्द के विशेष नम्बरों के लिए बोली में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं। इसके लिए दो हजार रुपये का पंजीकरण शुल्क जमा करवाना होगा। रविवार के दिन इन नंबरों की बोली का परिणाम पांच बजे के बाद ऑनलाइन स्वतः ही घोषित हो जाएगा।


उन्होंने बताया कि बोली के लिए पंजीकरण करवाने वाले आवेदनकर्ता को विशेष वाहन नंबरों के लिए निर्धारित आधार मूल्य का 30 प्रतिशत अग्रिम राशि जमा करवाना अनिवार्य होगा। बोली में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाला आवेदनकर्ता यदि किसी कारण विशेष नम्बर लेने में असमर्थ रहता है तो उसके द्वारा जमा करवाई गई 30 प्रतिशत अग्रिम राशि वापिस नहीं होगी। यह राशि सरकारी कोष में जमा होगी तथा उस विशेष नम्बर के लिए विभाग द्वारा  बोली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग द्वारा वाहनों के विशेष नम्बर जारी करने के लिए अपनाई गई ई-ऑक्शन प्रणाली में कुछ त्रुटियां सामने आयी थीं जिसमें कुछ मामलों में सफल बोलीदाता द्वारा लगाई गई बोली की राशि जमा नहीं करवाई जाती थी और ये विशेष नम्बर निचले बोलीदाता द्वारा कम राशि में प्राप्त किए जाते थे। ऐसे कारणों से विभाग द्वारा ई-ऑक्शन प्रणाली को निलंबित कर दिया गया था।
 

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