हिमाचल में सामान्य से 18% कम बारिश, फिर भी गहरे जख्म दे गया मानसून, 1363 करोड़ का नुकसान

हिमाचल प्रदेश में 2024 का मानसून राज्य के लिए कभी न भूलने वाली तबाही का सबब बना। भले ही इस साल राज्य में सामान्य से 18 प्रतिशत कम बारिश हुई, फिर भी मानसून की मार से राज्य को 1363 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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हिमाचल प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सोमवार को बादल छाए हुए हैं। हमीरपुर में तेज बारिश हो रही है, जबकि चंबा में हल्की धूप खिली है। मौसम विभाग ने शिमला और सिरमौर जिलों में फ्लैश फ्लड की आशंका जताते हुए अलर्ट जारी किया है। स्थानीय लोगों और पर्यटकों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने आगामी 10 अगस्त तक राज्य के मैदानी और मध्यपर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश की चेतावनी दी है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में 2024 का मानसून राज्य के लिए कभी न भूलने वाली तबाही का सबब बना। भले ही इस साल राज्य में सामान्य से 18 प्रतिशत कम बारिश हुई, फिर भी मानसून की मार से राज्य को 1363 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि मानसून में 33 लोग अब भी लापता हैं, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

बादल फटने की 54 घटनाओं ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में हुआ। राज्य आपदा प्रबंधन के निदेशक डीसी राणा द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में मानसून 27 जून से 2 अक्टूबर तक सक्रिय रहा। इस दौरान कुल 600.9 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 18 प्रतिशत कम रही। हालांकि, कम बारिश के बावजूद प्रदेश को भारी वित्तीय और जनहानि झेलनी पड़ी।

जुलाई और अगस्त में रहा मानसून का कहर

जुलाई और अगस्त के महीनों में मानसून ने सबसे अधिक तबाही मचाई। जुलाई में जहां 255 मिमी के मुकाबले कुल 180 मिमी बारिश दर्ज की गई, वहीं अगस्त में 256 मिमी के सामान्य आंकड़े के मुकाबले 243 मिमी वर्षा हुई। कुल मिलाकर, इस मानसून में राज्य में 734 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

बादल फटने से गई 65 लोगों की जान

डीसी राणा ने बताया कि इस मानसून के दौरान राज्य में बादल फटने और बाढ़ की 54 घटनाएं हुईं, जिनमें कुल 65 लोगों की जान चली गई। इन घटनाओं में लापता हुए 33 लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है। इसके अलावा, भूस्खलन की 47 घटनाओं में 5 लोगों की जान चली गई, जिससे राज्य को बड़ी वित्तीय हानि हुई।

31 जुलाई 2024 को हुई भारी तबाही

सबसे अधिक नुकसान 31 जुलाई की मध्यरात्रि में हुआ, जब भारी बारिश और बादल फटने से कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में व्यापक क्षति हुई। इस दिन की आपदा ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया और अकेले इन तीन जिलों में 55 लोगों की जान चली गई।

पिछले साल भी हुआ था भारी नुकसान

यह पहला मौका नहीं है जब हिमाचल को ऐसी आपदा का सामना करना पड़ा हो। पिछले साल भी मंडी और कुल्लू जिलों में भारी वर्षा और बाढ़ ने तबाही मचाई थी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी द्वारा किए गए शोध में यह खुलासा हुआ कि हिमालय क्षेत्र में बने निम्न दबाव के कारण पिछले वर्ष भारी वर्षा और बर्फ पिघलने की घटनाओं ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न की थी।

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