सीएम सुक्खू बोले, निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना में हो रही थी धांधली, निशुल्क इलाज बंद
शिमला। हिमाचल प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना के नाम पर धांधलियां पाई गईं, जिससे योजना के तहत मिलने वाला निशुल्क इलाज बंद करना पड़ा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने यह बात हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार की जयंती के अवसर पर विधानसभा परिसर में कही।
हिमकेयर योजना में धांधलियों का खुलासा
मुख्यमंत्री ने बताया कि निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत 25 हजार रुपये के हर्निया ऑपरेशन का बिल एक लाख रुपये तक बना दिया जाता था। प्रदेश में बिना सोचे-समझे यह योजना शुरू की गई थी, जिसके बाद कई निजी अस्पताल खुल गए। सरकार ने योजना को बंद नहीं किया है, बल्कि निजी अस्पतालों की इंपेनलमेंट समाप्त की है।
सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज जारी
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंद लोग हिमकेयर योजना के तहत निशुल्क इलाज करवा सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनरों को योजना से बाहर रखा गया है क्योंकि उनके मेडिकल बिलों का भुगतान सरकार करती है।
वित्त विभाग की गंभीरता
मुख्यमंत्री ने बताया कि वित्त विभाग उनके पास है और उन्होंने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया है। जांच में यह पाया गया कि हिमकेयर योजना से इलाज की 1000 करोड़ रुपये की राशि में से 450 करोड़ रुपये की देनदारी निजी अस्पतालों की है, जबकि सरकारी अस्पतालों की देनदारी 550 करोड़ रुपये है। योजना के तहत हिमकेयर कार्ड सीधा बन जाता था और उसके बाद बिल दे दिया जाता था, जिससे धांधलियां हो रही थीं।
निजी अस्पतालों में योजना बंद
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन धांधलियों को देखते हुए निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना को बंद किया गया है। सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा अभी भी जारी रहेगी।
बता दें कि 31 जुलाई को ईडी ने हिमाचल के कई जिलों के निजी अस्पतालों में छापेमारी की थी। इनमें कांगड़ा जिले में कांग्रेस के एक विधायक के परिसर और प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी के अस्पताल पर भी कार्रवाई की गई। ईडी ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY), मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना (Himcare) और अन्य स्वास्थ्य योजनाओं से संबंधित दावों के दस्तावेज कब्जे में लिए थे।
ईडी की जांच में सामने आया है कि कुछ निजी अस्पतालों में ऐसे लोगों के नाम आयुष्मान कार्ड बनवा दिए गए थे, जो कभी भी इलाज के लिए अस्पताल आए ही नहीं थे। इनके नाम से फर्जी बिल बनाकर रकम निकाली गई। जांच में बांके बिहारी अस्पताल, श्री बालाजी अस्पताल, सूद नर्सिंग होम, फोर्टिस अस्पताल और श्री हरिहर अस्पताल में आयुष्मान योजना के नाम पर फर्जीवाड़ा पाया गया।
संदिग्ध लेनदेन और फर्जी कार्ड
ईडी ने बयान में कहा कि 23 हजार मरीजों के लिए 21 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन हुआ है। जांच में 373 फर्जी आयुष्मान कार्डों की भी पहचान की गई, जिनमें सरकार से 40.68 लाख रुपये का दावा किया गया था। ईडी ने कहा है कि रजनीश कुमार और पूजा धीमान जैसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने सत्यापन के दौरान ऐसे किसी भी आयुष्मान कार्ड के होने से इनकार किया।
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