सरकारी कर्मचारी और पेंशनर HIMCARE योजना से बाहर, लोगों को निजी अस्पतालों में नहीं मिलेगा उपचार

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना (HIMCARE Scheme) से सभी सरकारी सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से बाहर कर दिया है। लोगों को भी निजी अस्पतालों में उपचार नहीं मिलेगा।
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सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार  सभी सरकारी सेवारत, सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों को मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना(हिमकेयर) से तत्काल प्रभाव से बाहर कर दिया है।  Serving Govt, retired officials excluded from HIMCARE Scheme, private hospitals empanelment withdrawn

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने मुख्यमंत्री हिमाचल स्वास्थ्य देखभाल योजना (HIMCARE Scheme) में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, सभी सरकारी सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों को हिमकेयर योजना से तत्काल प्रभाव से बाहर कर दिया गया है।

इसके अलावा, निजी अस्पतालों का इंपेनलमेंट 1 सितंबर 2024 से वापस लेने का निर्णय लिया गया है। इसका मतलब है कि अब इन अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत इलाज नहीं होगा। इस संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी की ओर से 31 जुलाई को ही अधिसूचना जारी कर दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने बीते दिनों सोलन में कहा था कि बहुत से लोग निजी अस्पतालों में इलाज करवाने जाते हैं, जहां पर इलाज की लागत काफी महंगी होती है। इन अस्पतालों में इलाज की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहता, और कुछ निजी अस्पताल मनमर्जी के रेट भी मरीजों को लगाते हैं। यह भी बताया गया कि कुछ अस्पताल अत्यधिक शुल्क वसूलते हैं, जिससे मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। इन्हीं कारणों के चलते सरकार ने निजी अस्पतालों में हिमकेयर योजना के तहत इलाज की सुविधा को बंद करने का फैसला लिया है।

सरकार के इस कदम का उद्देश्य सरकारी और निजी अस्पतालों के बीच संतुलन बनाना और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करना है। इस फैसले से सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों की संख्या बढ़ सकती है, जिससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव भी बढ़ेगा। हालांकि, सरकार का मानना है कि यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

हिमकेयर योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है, और इस संशोधन के बाद सरकारी अस्पतालों में इन सेवाओं को और भी अधिक मजबूत और सक्षम बनाने की कोशिश की जाएगी। सरकार का दावा है कि इससे सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं में सुधार होगा और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।

इस फैसले का असर हिमकेयर योजना के लाभार्थियों पर पड़ेगा, जो अब तक निजी अस्पतालों में इलाज करवा रहे थे। उन्हें अब सरकारी अस्पतालों में ही इलाज करवाना होगा। इस कदम से सरकारी अस्पतालों में संसाधनों की मांग बढ़ सकती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत भी बढ़ेगी। सरकार का मानना है कि यह निर्णय राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाएगा।

सरकार के इस निर्णय पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग इसे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा खत्म करने के निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस फैसले के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में किस प्रकार के सुधार कर पाती है और लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरतें कैसे पूरी होती हैं।

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