समयबद्ध तरीके से कृषि गणना का कार्य पूर्ण करें राजस्व अधिकारी : उपायुक्त

उपायुक्त राघव शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि गणना, कृषि मन्त्रालय एवं किसान कल्याण कृषि विभाग, भारत सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में की जाती है। इसका शत प्रतिशत खर्च भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
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ऊना ।   उपायुक्त राघव शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि कृषि गणना, कृषि मन्त्रालय एवं किसान कल्याण कृषि विभाग, भारत सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में की जाती है। इसका शत प्रतिशत खर्च भारत सरकार द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत में यह गणना हर पाँच वर्ष के अन्तराल पर होती है। प्रथम कृषि गणना 1970-71 को संदर्भ वर्ष मान कर की गई थी। अब तक देश में 10 कृषि गणनाएं सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुकी है। ये सभी गणनाएं राजस्व विभाग के अधिकरियों एवं कर्मचारियों द्वारा मैनुअल की गई। 

 

 

 

 

 

 

 

 

उन्होंने  बताया कि इन गणनाओं से प्राप्त आंकडो का समाज एवं भारत सरकार के विभिन्न विभागों में बड़ा स्वागत हुआ है। भारत सरकार की प्रधान मन्त्री किसान सम्मान योजना (पीएम एंड किसान) इसका एक बड़ा उदाहरण है। इसके फलस्वरूप भारत सरकार ने इसी क्रम में 11वीं  कृषि गणना जिसका संदर्भ वर्ष 2021-22 है, करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में यह पहली कृषि गणना है जो पूर्ण रुप से डिजीटल है। इसमें स्मार्ट फोन, टैबलैट, लैपटाॅप व्यक्तिगत कम्पयूटर जैसे हैड-हेल्ड डिवाईस का उपयोग करके ऐप/साफ्टवेयर के माध्यम से डाटा संग्रह किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह कार्य दो चरणों में किया जाएगा। जिसका संदर्भ वर्ष भी अलग-2 होगा। इसमें हर स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला कृषि गणना अधिकारी, समस्त उपमण्डलाधिकारी (ना.) उपमण्डल कृषि गणना अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, तहसील/उपतहसील     (ब्लाॅक अधिकारी), क्षेत्रीय कानूनगो को पर्यवेक्षक एंव पटवारी को प्रगणक नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर कार्य की प्रगति की समीक्षा के लिये प्रदेश सरकार ने उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया है।
सभी स्तर पर यूजर्स आईडी और पासवर्ड तैयार किये जा चुके हैं। कृषि गणना का उद्देश्य प्रचालन जोतों की संख्या, क्षेत्रफल उनके 10 आकार, सामाजिक वर्णीकरण (एससी, एसटी एंव सामान्य) जोतों की किस्म (व्यक्तिगत, संयुक्त एंव संस्थागत) लिंगवार वर्णीकरण, स्वामित्व, भूमि उपयोग, फसल पेटर्न एवं आदान सम्बन्धी उपयोग के पेटर्न आदि के सम्बन्ध में आंकडे एकत्रित करना है ताकि आगामी विकासात्मक योजनाएं बनाने में सहायक हो। उन्होंने बताया कि यह आकंडे किसी भी न्यायालय में मान्य नहीं है। इस गणना के प्रथम चरण का क्षेत्रीय कार्य पूर्ण करने की अतिंम तिथि 30 अप्रैल, 2023 भारत सरकार द्वारा निर्धारित की है।
उन्होंने कृषि गणना का कार्य राष्ट्रीय महत्व का होते हुए सभी राजस्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों से अनुरोध किया है कि इस कार्य को समयबद्ध तरीके से पूर्ण किया जाए। उन्होंने जिला के समस्त भू-स्वामी एंव किसानों से इस गणना के कार्य में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें।

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