भारत में 7.2 करोड मधुमेह रोगी, 2030 तक होंगे 10 करोड़ : डॉ दिनेश ठाकुर

विश्व मधुमेह दिवस पर जिला स्तरीय जागरूकता अभियान का आयोजन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश ठाकुर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य वेलनेस केंद्र भड्याल  में आयोजित किया गया। 
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मंडी ।  विश्व मधुमेह दिवस पर जिला स्तरीय जागरूकता अभियान का आयोजन जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश ठाकुर की अध्यक्षता में स्वास्थ्य वेलनेस केंद्र भड्याल तहसील बल्ह जिला मंडी में आयोजित किया गया।  डॉ दिनेश ठाकुर ने कहा कि मधुमेह दिवस का आयोजन 1991 से पूरे विश्व में मनाया जा रहा है ताकि मधुमेह जैसी घातक बीमारी के बारे में आम जन मानस जागरूक हो और वे स्वयं इसे बचने के उपाय अपने स्तर पर कर सके। आज विश्व में 42.2 करोड़ लोग मधुमेह के रोगी है तथा भारत में 7.2 करोड़ है। 

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विश्व में मधुमेह से पीड़ित होने वाला हर पांचवा व्यक्ति भारतीय है। यदि समय रहते हमे इस रोग को रोकने हेतु जरूरी कदम नही उठाये तो 2030 तक ये आंकड़ा 10 करोड़ को पार कर जाएगा।  उन्होंने बताया कि मधुमेह आहार सम्बन्धित रोग है। जिसमें रक्त में इंसुलिन नामक हारमोंस की कमी हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर में कार्बोहाइड्रेट का सामान्य रूप से उपयोग नहीं कर पता। इस कारण खून में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। मधुमेह के मुख्य कारण आजकल युवाओं का आरामदायक जीवन शैली, मोटापा, शारीरिक  व्यायाम की कमी, कुपोषण अनियंत्रित आहार, शराब की अधिकता, धुम्रपान, तनावपूर्ण जीवन, अनुवांशिकता, तैलीय पदार्थों का सेवन, रेशेदार खाद्यपदार्थों का आभाव, प्रथम गर्भावस्था, डिबाबंद  खाद्यपदार्थों का सेवन आदि अनेक कारण है।  जिससे मधुमेह होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

डॉ दिनेश ठाकुर ने बताया कि इस रोग को शीघ्र पहचान करके और लक्षणों के बारे में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इस रोग के मुख्य लक्ष्ण जिसमें भूख और प्यास में वृद्धि होना, बार-बार पेशव आना, सुस्ती, बजन कम होना, जख्म भरने में देरी, रक्त और पेशाब में गुल्कोज (शुगर) की मात्र बढ़ जाना शामिल है। जब यह रोग गम्भीर स्थिति में बदलने लगता है तो खुजली, दीर्घकालीन चरम रोग, हाथ पांव सुन होना, जलन होना, दृष्टि में धुन्दलापन, बेहोशी, लगातार योनीस्त्राव और नपुंसकता आदि लक्ष्ण उभरते हैं।

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 जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सोहन लाल ने बताया कि समय पर लक्षणों की पहचान करके जाँच के आधार पर उपचार शीघ्र शुरू कर दिया जाये तो इससे रोगियों को अंधापन, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, गुर्दे फेल होने, घाव का लम्बे समय तक न भरने, गैंग्रीन, फोड़े फुंसियों और विभिन्न प्रकार के संक्रमण जैसी खतरनाक स्थितियों से बचाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि मधुमेह टाइपदृ1, टाइप -2 और गभर्कालीन मधुमेह, तीन प्रकार का है। मधुमेह के इलाज के लिए इन्सुलिन की सुईयां तथा खाने वाली दवाओं से इलाज किया जा रहा है। ये दवाएं सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं पर मुफ्त उपलब्ध करवाई जा रही है। इसलिए दवाएं डॉक्टर की सलाह से लें और अपनी मर्जी से दवा बंद न करें। अपना डाइट चार्ट बना लें। खाने में हरे पतेदार सब्जियां, टमाटर, ककड़ी, गाजर, मूली, निम्बू का सेबन ज्यादा करें। जूस के बदले फलों का सेवन ज्यादा करें। अपने आहार में विटामिन युक्त आहार लें। मीठा खाने से परहेज करें। धूम्रपान, शराब का सेवन बंद करें।तला भुना हुआ भोजन न लें। रोज सैर/व्यायाम करें। 40 साल के बाद अपने जन्म दिवस पर अपने ब्लड शुगर और बी.पी  की जांच अवश्य करवाएं।

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 इस अवसर पर लोगों का बी0पी0 और ब्लड शुगर की जांच की गई। जिससे शुगर के पुराने रोगी 10 और 3 नये रोगी रोगी पाए गये।  कार्यक्रम के समापन पर पंचायत के उपप्रधान हेमराज ने सभी लोगों को इस महामारी को रोकने के लिए अपने स्वास्थ्य जीवन शैली अपनाने प्रतिदिन सैर और व्यायाम करने तथा नशीली वस्तुओं से दूर रहने के लिए स्वयं भी सतर्क रहें और दूसरों को भी जागरूक करने का सन्देश दिया। इस कार्यक्रम  में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता तथा ममता फाउंडेशन सहित गावं के लगभग 100 लोगों ने भाग लिया।

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