आपदाओं में नुकसान से बचाने में कारगार साबित होगा 'जूआरे'

जिला आपदा प्रबंधन कुल्लू ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने तथा आपदा आने पर नुकसान से बचने के लिए जागरूकता की एक अद्धितीय पहल ‘जूआरे’ नाटक तैयार किया है।
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जिला आपदा प्रबंधन कुल्लू ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने तथा आपदा आने पर नुकसान से बचने के लिए जागरूकता की एक अद्धितीय पहल ‘जूआरे’ नाटक तैयार किया है। उपायुक्त ने कहा कि जूआरे एक शानदार नाटकीय विधा है, जिसमें आपदाओं से निपटने के तौर-तरीकों को बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति जूआरे को देखें और जानें ताकि वह किसी भी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदा से सुरक्षित रह सके। जूआरे में आगजनी की घटनाएं, भूकॅम्प, ग्लेशियर, भूःस्खलन, बाढ़, बादल फटना जैसी घटनाओं में बचाव के बारे में लोगों को प्रभावी ढंग से जागरूक करने का प्रयास है।

कुल्लू। जिला आपदा प्रबंधन कुल्लू ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने तथा आपदा आने पर नुकसान से बचने के लिए जागरूकता की एक अद्धितीय पहल ‘जूआरे’ नाटक तैयार किया है। उपायुक्त ने कहा कि जूआरे एक शानदार नाटकीय विधा है, जिसमें आपदाओं से निपटने के तौर-तरीकों को बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति जूआरे को देखें और जानें ताकि वह किसी भी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदा से सुरक्षित रह सके। जूआरे में आगजनी की घटनाएं, भूकॅम्प, ग्लेशियर, भूःस्खलन, बाढ़, बादल फटना जैसी घटनाओं में बचाव के बारे में लोगों को प्रभावी ढंग से जागरूक करने का प्रयास है।

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जिला आपदा प्रबंधन कुल्लू ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने तथा आपदा आने पर नुकसान से बचने के लिए जागरूकता की एक अद्धितीय पहल ‘जूआरे’ नाटक तैयार किया है। उपायुक्त ने कहा कि जूआरे एक शानदार नाटकीय विधा है, जिसमें आपदाओं से निपटने के तौर-तरीकों को बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति जूआरे को देखें और जानें ताकि वह किसी भी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदा से सुरक्षित रह सके। जूआरे में आगजनी की घटनाएं, भूकॅम्प, ग्लेशियर, भूःस्खलन, बाढ़, बादल फटना जैसी घटनाओं में बचाव के बारे में लोगों को प्रभावी ढंग से जागरूक करने का प्रयास है।


आशुतोष गर्ग ने कहा कि जूआरे के लेखक और निदेशक नितिश है। नितिश ने जूआरे का निर्देशन आकर्षक ढंग से किया है जिसे सभी लोग पसंद करेंगे। उपायुक्त ने कहा कि जूआरे मंचन का उद्देश्य स्थानीय लोगों को आपदाओं के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तथा स्थानीय स्तर पर कौन से संसाधनों का प्रयोग किया जा सकता है, इसके बारे में जानकारी व जागरूकता प्रदान करना है। इसके अलावा, प्रत्येक पंचायत में स्कूल स्तर के बच्चों द्वारा संसाधनों की सूचि तैयार करना है जो आपदा के दौरान उपयोग में लाए जा सकते हैं। स्थानीय क्षेत्र किन-किन आपदाओं के लिये संवेदनशील है, इसका मैप भी तैयार करवाना जूआरे का उद्देश्य है।

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उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों व बच्चों की स्थानीय तौर पर एक टास्क फोर्स तैयार करना भी इसका उद्देश्य है। स्थानीय कार्यबल को समय-समय पर प्रशिक्षण के माध्यम से उनका क्षमता निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला की 235 ग्राम पंचायतों में एक ही दिन एक ही समय पर जूआरे के मंचन के लिये प्रशिक्षित अध्यापक नाटक मण्डली के निदेशक के तौर पर कार्य करेंगे। जूआरे को यू-ट्यूब पर भी अपलोड किया गया है। आशुतोष गर्ग ने कहा कि जूआरे का मंचन आगामी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जिला की सभी ग्राम पंचायतों में एक साथ किया जाएगा।

जिला आपदा प्रबंधन कुल्लू ने विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने तथा आपदा आने पर नुकसान से बचने के लिए जागरूकता की एक अद्धितीय पहल ‘जूआरे’ नाटक तैयार किया है। उपायुक्त ने कहा कि जूआरे एक शानदार नाटकीय विधा है, जिसमें आपदाओं से निपटने के तौर-तरीकों को बेहद प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति जूआरे को देखें और जानें ताकि वह किसी भी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित आपदा से सुरक्षित रह सके। जूआरे में आगजनी की घटनाएं, भूकॅम्प, ग्लेशियर, भूःस्खलन, बाढ़, बादल फटना जैसी घटनाओं में बचाव के बारे में लोगों को प्रभावी ढंग से जागरूक करने का प्रयास है।

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आपदाओं से नुकसान को कम करने तथा आपदाओं के बारे में जानने से जुड़ा जूआरे एक दिन में जिला के सैंकड़ों स्थानों पर प्रदर्शित कर विश्व रिकार्ड कायम करने का एक प्रयास रहेगा। जूआरे का प्रदर्शन पंचायत घर, सामुदायिक भवन, स्कूल अथवा किसी अन्य खुले स्थान पर किया जाएगा जहां अधिक से अधिक लोग नाटक के साक्षी बनें। जूआरे के बारे में अटल सदन कुल्लू में जिला के वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के अध्यापकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला आपदा प्रबंधन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एडीएम प्रशांत सिरकैक की देख-रेख में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

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इस अवसर पर कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने जूआरे की प्रस्तुति भी दी। प्रशांत सिरकैक ने बताया कि जिला के प्रत्येक भाग से अध्यापकों को जूआरे की जानकारी प्रदान की गई। अध्यापक जूआरे को अपने स्कूली बच्चों को तैयार करवाएंगे। सरकारी व निजी सभी स्कूलों के अध्यापकों ने कार्यशाला में भाग लिया। उन्होंने कहा कि जूआरे नाटक की वीडियो भी स्कूलों को उपलब्ध करवाई जाएगी ताकि वे आसानी से बच्चों को इस अनूठी नाटक विधा को तैयार करवा सके। उप-निदेशक उच्च शिक्षा शांति लाल शर्मा, जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर सहित अन्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे।

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