कांगड़ा में दुखियारी महिलाओं का सहारा बना वन स्टॉप सेंटर
धर्मशाला। एडीसी राहुल कुमार ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही वन स्टॉप सेंटर योजना (सखी/One Stop Centres) महिलाओं के लिए मददगार साबित हो रही है। किसी महिला के साथ मारपीट, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न या अन्य कोई घटना होती है तो वन स्टॉप सेंटर (One Stop Centres) के माध्यम से पीड़ित को न्याय दिलाया जाता है। एडीसी राहुल कुमार (ADC Rahul Kumar) ने आज एनआईसी (NIC) सभागार में विभागीय अधिकारियों के साथ वन स्टॉप सेंटर बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
इस दौरान एडीसी राहुल कुमार (ADC Rahul Kumar) ने महिलाओं से जुड़े हुए महिला उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न इत्यादि मामलों के बारे में चर्चा की और मामलों के शीघ्र निपटारे के निर्देश दिए। एडीसी ने बताया कि वन स्टॉप सेंटर के अन्तर्गत सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को अधिकतम पांच दिन तक अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि वन स्टॉप सेंटर (One Stop Centres) योजना के तहत 35 महिलाओं को कानूनी सहायता, सात को चिकित्सा सहायता, 18 पुलिस सहायता व 35 मनोवैज्ञानिक सामाजिक परामर्श तथा छः को रहने के लिए आश्रय दिया गया है। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रकार की सहायता के लिए वन स्टॉप सेंटर- हेल्पलाइन नम्बर 01892-227115 पर सम्पर्क किया जा सकता है। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी रणजीत सिंह सहित अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
क्या है वन स्टॉप सेंटर योजना
यह महिलाओं के खिलाफ हिंसा की समस्या के समाधान के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था। यह इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना (Indira Gandhi Mattritav Sahyaog Yojana) सहित राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण मिशन के लिए अंब्रेला योजना की एक उप-योजना है। एक ही छत के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिये देश भर में वन स्टॉप सेंटर स्थापित किया गया है।
वन स्टॉप सेंटर योजना का उद्देश्य
परिवार के भीतर या कार्यस्थल पर या समुदाय के भीतर, निजी या सार्वजनिक स्थानों पर होने वाली हिंसा से प्रभावित महिलाओं का समर्थन करना। विशेष रूप से उन महिलाओं के लिये जो अपनी जाति, पंथ, नस्ल, वर्ग, शिक्षा की स्थिति, उम्र, संस्कृति या वैवाहिक स्थिति के बावजूद यौन, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और आर्थिक शोषण का सामना करती हैं। यह निर्भया फंड के माध्यम से वित्तपोषित है और केंद्र सरकार राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को 100% वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
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