दियोटसिद्ध मंदिर में चकमोह पंचायत के ग्रामीणों ने चढ़ाया झंडा, चकमोह गांव से लेकर दियोटसिद्ध मंदिर तक निकाली पैदल झंडा यात्रा
हमीरपुर । उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में ग्राम पंचायत चकमोह के पंडित बनारसी दास के वंशज व चकमोह गांव के समस्त ग्रामीणों ने हर साल की भांति इस बार भी चैत्र मास के उपलक्ष्य पर बाबाजी की पवित्र गुफा में झंडा चढ़ाया। इस झंडा रस्म में चकमोह गांव के ग्रामीणों व आसपास के गावों के लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया व चकमोह गांव में विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया। पंडित बनारसी दास बाबा बालक नाथ के प्रथम पुजारी थे, अखंड धुने की सेवा वही करते थे। उनके वंशज चकमोह गांव के स्थायी निवासी हैं। हर साल की तरह इस साल भी इन निवासियों की ओर से चकमोह गांव से दियोटसिद्ध तक पैदल यात्रा करते हुए मेले आरंभ होने पर झंडा चढ़ाया जा रहा है ।
चकमोह पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि शाहतलाई से श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ जी चकमोह गांव की इस धौलागिरी की पहाड़ी पर गुफा में बसे थे। तो गांव के पंडित बनारसी दास को गुफा दर्शन दिए और उन्हें पूजा अर्चना के लिए प्रेरित किया। पंडित बनारसी दास के बाद उनके कुल के चकमोह वासी गुफा की पूजा अर्चना बड़े श्रद्धा भाव से बाबा जी की गुफा में पूजा अर्चना करते रहे। श्रद्धालुओं का श्रद्धा भाव बढ़ता गया और बड़ी मात्रा में लोग बाबा जी के दर्शनों को आने लगे चैत्र मास मे बाबाजी के गुफा में झंडा रस्म हमारे पूर्वजों द्वारा की जाती थी। जब बाबा जी की कृपा श्रद्धालुओं पर हुई तो बड़ी मात्रा में श्रद्धालु गुफा दर्शन को आने लगे।
तत्पश्चात यहां मंदिर न्यास की स्थापना हुई और ग्रामवासी किन्हीं कारणों से पूजा अर्चना और पूर्वजों द्वारा की जाने वाली झंडा रसम से बंचित रह गए। अब फिर से 14 मार्च चैत्र मास को सभी ग्राम वासियों ने अपना दायित्व समझा। पुन: अपने पूर्वजों के पद चिन्हों पर चलने और पूर्वजों के द्वारा स्थापित परीपति का निर्वहन करने के लिए सभी ग्राम वासियों और युवाओं ने झंडा रस्म निभाने का बेड़ा उठाया है और 14 मार्च चैत्र मास में झंडा रस्म को पूरे चकमोह के ग्रामीणों द्वारा एकत्रित होकर पूरे श्रद्धा भाव से मंदिर बाबा बालक नाथ में झंडा रस्म निभाई जा रही है।
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