श्रीमद्भागवत की कथा दूर करती हैं कई व्यथाएं : पंडित अंकुश शर्मा

टौणी देवी तहसील के तहत शिव मंदिर बारीं में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन की कथा में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं  वर्णन किया गया ।
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हमीरपुर ।  टौणी देवी तहसील के तहत शिव मंदिर बारीं में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन की कथा में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं  वर्णन किया गया । इस अवसर पर पंडित अंकुश शर्मा  ने कहा कि जब पृथ्वी पापियों का बोझ सहन नहीं कर पा रही थी, तब सभी देवता ब्रह्मा जी व शिव के साथ क्षीर सागर में भगवान की स्तुति करने लगे। तब भगवान श्री हरि ने प्रसन्न होकर देवताओं को बताया कि मैं वासुदेव व देवकी के घर कृष्ण रूप में जन्म लूंगा और वृंदावन में मां यशोदा व नंदबाबा के घर बाल लीलाएं करूंगा। इसलिए आप सब भी उस समय धरती पर किसी ना किसी रूप में उपस्थित रहना।

पंडित अंकुश शर्मा  ने बताया कि जब भगवान ने पृथ्वी पर श्रीकृष्णा अवतार धारण किया तब सभी देवता और स्वयं ब्रह्मा व शिव जी भी भगवान की लीलाओं के साक्षी बने थे। उन्होंने बताया कि इस तरह जब भी पृथ्वी पर कहीं भी भगवान का जन्मोमोत्सव मनाया जाता है, तो ये सब देवी-देवता भी वहां अवश्य आते है और भगवान के जन्मोत्सव का आनंद लेते है। 
पंडित अंकुश शर्मा ने कथा में कहा कि दो बातें मनुष्य को हमेशा याद  रखनी चाहिए।  परमात्मा और मृत्यु को याद रखने वाला कभी दुखी नहीं होता । उन्होंने कहा कि  एक न एक दिन संसार छोड़ कर मनुष्य को  जाना ही  है। अपनी अंतिम यात्रा की तैयारी आज से ही करना श्री मद्भागवत महापुराण सिखाता है।  उन्होंने बच्चों को अच्छे संस्कार देने का आह्वान किया ताकि वे माता पिता के बुढ़ापे में काम आए। 

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