गुरु के द्वारा ही हो सकती है मोक्ष की प्राप्ति : डॉ. प्रवीण स्वामी

व्यास पौराणिक शिरोमणि राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता एवं  बाल योगी डॉ. प्रवीण स्वामी ने कहा कि भागवत रस साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। जिन भक्तों के सामने वह अपने मनमोहक रूप में प्रकट हो जाते है। पौराणिक शिरोमणि राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता एवं  बाल योगी ने भागवत कथा में प्रवचन कर निहाल किया।  जाहू में  सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा चल रही है ।   
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हमीरपुर । हमीरपुर जिला के  जाहू क्षेत्र में  सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा चल रही है ।  श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन व्यास पौराणिक शिरोमणि राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता एवं  बाल योगी डॉ. प्रवीण स्वामी ने कहा कि भागवत रस साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। जिन भक्तों के सामने वह अपने मनमोहक रूप में प्रकट हो जाते है। वह भक्त सच्चे रसिक हैं। उन्होंने कहा कि सत्संग है एक कल्प तरु, श्रद्धा जाको मूल। अर्थात  श्रीमदभागवत कथा में जितनी श्रद्धा से आएगें। तो श्रद्धा रुपी तना उतना मतबूत होता है।

उन्होंने कहा कि अगर इंसान मोक्ष रूप फल पाना चाहता हे। तो कभी भी गुरु चरणों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान और प्रेम में मौलिक यह अंतर है कि ज्ञान से जीवात्मा के निकट जाता है। लेकिन प्रेम से परमात्मा जीवात्मा के समक्ष प्रकट होता है। उन्होंने कहा कि जहां सत्संग चला होता है। वहीं आत्मा और बुद्धि का मिलन होता है। दोनों के मिलन से एक पुत्र पैदा होता है। उस पुत्र का नाम है विवेक। इसका अर्थ यह है कि आप कथा और सत्संग का पूर्ण फलादेश चाहते हो। तो सबसे महत्वपूर्ण विवेक हे। यह सब कुछ सत्संग   एवं कथा में जाकर ही मिलेगा।
इसीलिए सदैव श्रीमद्भागवत कथा एवं सत्संग को बड़ी सहजता से सुनते हुए अमल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के प्रेमियों हमेशा याद रखना कर्म की गति कभी टलती नहीं हैं। हम जो भी कर्म करते हैं। उसका भुगतान भुगतना ही पड़ता है। इसी बहाने से भगवान चलने लगे। तो उदव रोने लगे कि हे भगवान आपके जाने के बाद हमारा कौन होगा। ऐसा वृतांत देखकर भगवान कृष्ण पिघल गए और उन्होंने बड़ी सुंदर लीला की। एक रूप में भगवान भक्त के नजर में अपने धाम चलने लगे और एक रूप में भगवान उदभ के नजरों के सामने-सामने भागवत का रुप हो गए। इस दौरान भगवान कृष्ण ने कहा कि मेरे जाने के बाद द्वापर का विश्राम होगा और कलयुग का आगमन होगा और कलयुग में अगर कोई कृष्ण है, तो भागवत है।
भगवान ने कहा कि मुझे मूर्त रुप में बुलाओगे, हो सकता है मैं आऊं या न आऊं।  अगर आप भागवत रुप में बुलाओगे। तो मैं उसी क्षण दौड़ता हुआ आ जाऊंगा। उन्होंने कहा कि कथा की तरफ अगर एक-एक कदम चलोगे।  अश्वमेध यज्ञ का फल मिल जाता है। वहीं एक-एक शब्द का पाठन करने से ही दान का फल मिल जाता है। उन्होंने कहा कि बंधुओं जब भी कथा में आए, तो पूरे पवित्र भाव से आना। उन्होंने कहा कि भागवत की कथा के तुल्य कोई साधन नहीं है।  सिद्ध योगी धाम मेहरी काथला जिला बिलासपुर से राजकुमार ने बताया कि सात दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान महायज्ञ का समापन 25 जून को होगा। 

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