रेफरल यूनिट बने बड़सर विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर अस्पताल, जनता चुका रही चुनावों का कर्ज

पिछले दो दशक से बड़सर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सिविल अस्पताल बड़सर में लोगों की सेहत से खेल ही हो रहा है। विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय बड़सर में स्थित सिविल अस्पताल बड़सर महज रेफरल यूनिट बनकर रह गया है। एक तरफ स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से मरीज मुश्किल में हैं, दूसरी ओर 15 माह बाद फिर चुनाव से नेताओं का कर्ज जनता चुका रही है।
 | 
photo - Hospital barsar

हमीरपुर । लगभग 15 माह बाद फिर उपचुनाव का सामना कर रही बड़सर की जनता की सेहत राम भरोसे ही है। पिछले दो दशक से बड़सर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सिविल अस्पताल बड़सर में लोगों की सेहत से खेल ही हो रहा है। विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय बड़सर में स्थित सिविल अस्पताल बड़सर महज रेफरल यूनिट बनकर रह गया है। अस्पताल में में जुकाम और बुखार तक की मामूली बीमारियों का इलाज ही हो रहा है। अस्पताल मरीजों का मर्ज कम करने की बजाए बढ़ा रहे हैं।

एक तरफ स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से मरीज मुश्किल में हैं, दूसरी ओर 15 माह बाद फिर चुनाव से नेताओं का कर्ज जनता चुका रही है। जनता वोट का फर्ज तो निभा रही है लेकिन सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं न मिलने से निजी अस्पतालों में लुटने को विवश है। बड़सर सिविल अस्पताल में महज एक सर्जन और एक ईएनटी विशेषज्ञ है। सर्जरी के लिए एनेस्थीसिया के डॉक्टर की जरूरत होती है लेकिन यह डॉक्टर एक साल से यहां पर नहीं है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद दो एमडी इस अस्पताल को जरूर मिले लेकिन मुख्य रूप में स्त्री रोग, शिशु रोग, हड्डी रोग व एमडी मेडिसन की मांग स्थानीय जनता की ओर से की जाती रही है। सिविल अस्पताल में कायदे से छह एमडी तैनात होने चाहिए। इसके अलावा आठ के करीब एमबीबीएस की तैनाती जरूरी है।

बड़सर अस्पताल में महज दो एमडी और चार एमबीबीएस हैं। यहां पर नेत्र रोग विशेषज्ञ महज डेपुटेशन पर सेवाएं देने के लिए आते हैं। सिविल अस्पताल बड़सर में रोजाना 300 से 400 के करीब ओपीडी रहती है। ऊना-हमीरपुर सड़क पर आए दिन होने वाले हादसों के दौरान घायलों को भी क्षेत्र में सुविधाओं की कमी से बेहतर उपचार नहीं मिल पाता है। तप्पा ढटवाल के अस्पतालों में एंबुलेंस तक की सुविधा नहीं हैं।  सीएससी बिझडी में लगभग 22 से 25 पंचायतों के मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं लेकिन यहां पर एंबुलेंस तक अस्पताल में नहीं है। लोग लंबे समय से सुविधाओं में सुधार की मांग कर रहे हैं लेकिन भाजपा और कांग्रेस किसी भी सरकार में सुनवाई नहीं हुई है।

धूल फांक रहा ऑक्सीजन प्लांट, भवन का कार्य अधर में

वहीं बड़सर अस्पताल में लाखों की लागत से बना ऑक्सीजन प्लांट धूल फांक रहा है। कोविड के दौरान इस प्लांट को स्थापित कर अस्पताल में लगे 50 बेड को इससे जोड़ा गया था लेकिन लाखों की लागत से लगा यह प्लांट अब धूल फांक रहा है। मरीजों को सिलेंडर के जरिये ऑक्सीजन आपूर्ति की जा रही है। यहां पर वर्तमान सरकार की ओर से 100 बेड का अस्पताल बनाने की घोषणा की गई थी लेकिन यह भी सिरे नहीं चढ़ सकी है। 

उधर, कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष ढटवालिया ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ने क्षेत्र के अस्पतालों में सुविधाओं के सुधार के लिए विस्तृत योजना तैयार की है। बड़सर अस्पताल की क्षमता 100 बेड की गई है। आचार संहिता के बाद यहां पर इस कार्य को सिरे चढ़ाया जाएगा। कांग्रेस सरकार बड़सर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

उधर, पूर्व विधायक और भाजपा प्रत्याशी इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने नवंबर 2023 में कहा था कि 6 विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात होंगे लेकिन अब जून भी आने वाला है, लेकिन कोई नियुक्ति नहीं की गई है। नया ब्लॉक भी नहीं बन पाया है। वर्तमान सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।  

फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक  करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।