शराब और खैर माफिया बड़सर कांग्रेस को न दें सलाह कि कौन छुटभेया व कौन बड़ा नेता : ढटवालिया

कांग्रेस के पुराने पदाधिकारियों को छुटभैया नेता बोल कर उन्हें दोष देने की बजाय वायरल आडियो पर बताएं कि अगर आपने कांग्रेस के साथ भीतरघात नहीं किया तो जो लोग टिकट मांगने के समय आपके साथ थे, उनके परिवारों के वोट सुभाष चंद को क्यों नहीं मिले।
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Photo : Parmjeet Dhatwalia

हमीरपुर। बड़सर के सोशल एक्टिविस्ट परमजीत ढटवालिया ने जारी प्रेस बयान में कहा कि शराब और खैर माफिया अपने बड़सर के बाकि नेताओं को छूटभैया नेता बोल कर अपने आपकों बड़ा दर्शाना चाहता है। वो भूल रहा है कि इससे पहले वो आजाद के साथ रहा है, उसके बाद बलदेव शर्मा के साथ भाजपा में था। बलदेब शर्मा के सहयोग से उस समय के वरिष्ट कांग्रेस नेता निक्का राम जो प्रधान थे, उन्हें हरवाया और बलदेव शर्मा के रहमो करम से प्रधान बना।

उन्होंने कहा कि फिर पलटी मारी और कांग्रेस में आ गया कांग्रेस में आते ही बहुत बड़ा शराब और खैर माफिया बन गया। पैसे के बल पर सरगना सीधा प्रदेश कांग्रेस सचिव बन गया। फिर विधायक के साथ मिलकर पंचायत में गोलमाल, खैर और शराब माफिया बन गया। अपने से सीनियर कांग्रेस के लोगों को छूटभैया बोलने लग गया। खुद कांग्रेस की टिकट मांगने लग पड़ा, जबकि कांग्रेस के संविधान में साफ लिखा है कि ब्लैक लिस्टड खैर और शराब माफिया को टिकट तो क्या पदाधिकारी भी नहीं बन सकता है।

परमजीत ढटवालिया ने कहा कि आज कांग्रेस के पुराने पदाधिकारियों को छुटभैया नेता बोल कर उन्हें दोष देने के बजाय वायरल आडियो पर प्रेसवार्ता करने के बजाय स्पष्ट करें कि आपने कांग्रेस के साथ भीतरघात नहीं किया है। अगर ऐसा नहीं है तो जो लोग टिकट मांगने के समय आपके साथ थे, उनके परिवारों के वोट सुभाष चंद को क्यों नहीं मिले और वो चुनाव में कहां गायब थे। बड़सर की जनता आपको जानती है और ये भी जानती है कि न तो आपका पहले टिकट में नाम था न भविष्य में कभी होगा। 

परमजीत ढटवालिया ने कहा कि सुभाष एक ईमानदार व्यक्तित्व के मालिक हैं। अब बड़सर में न खैर, न शराब माफिया प्रभावी रहेगा। राजनीति तो दू आपके माफिया टाइप धंधे भी नहीं चलेंगे। इसलिए बड़सर कांग्रेस के साथ-साथ मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को भी बदनाम मत करो। आपको पार्टी से या मुख्यमंत्री से प्यार नहीं है। आपको अपने धंधे दिख रहे हैं कि कैसे चलेंगे। सुक्खू सरकार के होते अब आपके धंधे नहीं चलने वाले होते। 

 

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