Hamirpur News : दियोटसिद्ध में बिना स्थाई मंदिर अधिकारी के कैसे होगी सुदृढ़ व्यवस्थाएं
हमीरपुर । किसी भी धार्मिक स्थल की व्यवस्थाएं तभी सुदृढ़ हो सकती हैं जब वहां पर प्रशासनिक अधिकारी स्थाई तौर पर नियुक्त रहेंगे। लेकिन धार्मिक नगरी दियोटसिद्ध में इस बार भी बिना स्थाई मंदिर अधिकारी के ही चाला मेलों का समापन हो गया है। हालांकि बाबा बालक नाथ दियोटसिद्ध में हर साल की भांति इस साल भी एक महीने तक चलने वाले चाला मेलों का समापन बड़ी श्रद्धा से सफल रहा है। देश-विदेश से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर विशेष प्रबंध किए गए थे।
आधिकारिक तौर पर दियोटसिद्ध में 1 महीने चाला मेले चलते हैं लेकिन अनाधिकारिक तौर पर मेलों का दौर तीन माह तक लगातार जारी रहता है। इसके अलावा भी साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना निरंतर जारी रहता है। ऐसे में श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में तमाम सुविधाएं साल भर देनी पड़ेंगी। लेकिन पिछले एक दशक से दियोटसिद्ध मंदिर में कोई भी स्थाई मंदिर अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकी है। चाला मेले शुरू होते ही अस्थाई तौर पर मंदिर अधिकारी की नियुक्ति की जाती है। जिससे मेलों के दौरान तो श्रद्धालुओं को सुविधाएं मुहैया होती हैं लेकिन बाकी दिनों में मंदिर की व्यवस्था केवल मात्र बाबा के भरोसे ही चलती है।
बिना स्थाई मंदिर अधिकारी के दियोटसिद्ध में वर्तमान समय में आधुनिक तकनीक से लैस योजनाओं का टोटा है। इन योजनाओं को बनाने व अमलीजामा पहनाने के लिए स्थाई मंदिर अधिकारी तक दियोटसिद्ध मंदिर में नहीं है। वहीं सत्ता परिवर्तन के साथ मंदिर न्यास भी परिवर्तित होता है। लेकिन अभी तक सरकार मंदिर न्यास कमेटी का गठन नहीं कर पाई है। यदि सरकार ने गठन किया भी है तो अभी तक मंदिर न्यास कमेटी की एक भी बैठक नहीं हो पाई है। जबकि चाला मेलों का समापन हो चुका है।
बिना न्यास कमेटी के अभी तक मंदिर का बजट भी पारित नहीं हो सका है। हर साल जनवरी या फरवरी माह में मंदिर न्यास द्वारा मंदिर का बजट पारित किया जाता रहा है। बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में धन की कोई कमी नहीं है। लेकिन मंदिर में स्थाई मंदिर अधिकारी न होने के चलते साल भर यहां व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से सही नहीं हो पाती हैं। देश के अन्य मंदिरों में प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुदृढ़ होने के चलते वहां के विकास व मूलभूत सुविधाओं के मुकाबले बाबा बालक नाथ मंदिर पिछड़ रहा है।
एक तरफ सरकार प्रदेश के धार्मिक स्थलों को विकसित करने की बात कर रही है, लेकिन धार्मिक नगरी दियोटसिद्ध में पिछले एक दशक से अब तक किसी स्थाई मंदिर अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पाई है। ऐसे में दियोटसिद्ध मंदिर की व्यवस्थाएं कैसे सुदृढ़ होंगी और बिना मंदिर अधिकारी के यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मिलने वाली सुविधाओं का कैसे क्रियान्वयन हो सकेगा। सरकार शीघ्र दियोटसिद्ध मंदिर के विकास को ध्यान में रखते हुए मंदिर में स्थाई मंदिर अधिकारी की नियुक्ति करे।
फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।