हमीरपुर । बड़सर उपमंडल के तहत आने वाले राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला महारल में विद्यार्थी खेलकूद गतिविधियों के लिए खरीदी गई खेल सामग्री का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। हालात यह है अंडर-14 खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के लिए अभ्यास करने वाले खिलाड़ी मिट्टी, पत्थरों में अभ्यास करने को मजबूर हैं।
वर्ष 2021 में स्कूल का उत्कृष्ट विद्यालय योजना के अंतर्गत चयन हुआ था। इस विद्यालय को सरकार की तरफ से 44 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि मिली थी। उस समय 44 लाख रुपये से खरीदे गए खेल के सामान में धांधली के आरोप लगे थे। आरटीआई एक्टिविस्ट यशपाल कुमार ने खुलासा किया कि जो भी सामान खरीदा गया वो बेहतर क्वालिटी का नहीं है। बाजार के रेट से अधिक दाम पर खरीदा गया। इस मामले में उस समय के प्रधानाचार्य पर जांच बैठी और विभाग द्वारा प्रधानाचार्य को सस्पेंड तक किया गया था। लेकिन अब वह प्रधानाचार्य रिटायर भी हो गए हैं।
सरकार की तरफ से मिल रही सभी तरह की सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं, लेकिन जांच अभी तक पूरी नहीं की जा सकी है। जांच चली होने के कारण छात्र आज भी उन मैट का उपयोग नहीं कर सकते, और उन्हें मजबूरी में कंकड मिट्टी पर खेलने को मजबूर होना पड़ रहा है। गौर रहे कि जो मैट उस समय खरीदे गए थे, वह 20 एमएम के 104 मैट खरीदे गए थे। ये मैट करीब ढाई लाख रूपये के खरीदे गए थे, जिनकी कीमत मात्र डेढ़ लाख के करीब थी।
वहीं स्कूल के डीपी राजेश चोपड़ा के अनुसार कब्बडी फेडरेशन के नियमों के अनुसार हमें 40 एमएम के 180 मैट की जरूरत है। हमारे स्कूल की छात्रायें अभी हाल ही में हुए जोनल स्तर के कबड्डी मुकाबले में प्रथम और जिला स्तर पर रनर अप रहीं हहैं। अब इस माह मुंडखर में आयोजित की जाने वाली खेल प्रतियोगिता में भी भाग लेने वाली हैं। ऐसे में जो भी मैट है, उनको जांच चली होने के कारण उपयोग नहीं कर सकते। ऐसे में सवाल उठता है कि 2 साल होने को है और जांच अभी तक पूरी नहीं की जा सकती है। जितनी दरियादिली और मेहरबानी शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के सवालों से घिरे प्रिंसिपल पर दिखाई, उतनी अगर चैंपियन खिलाडियों पर दिखाता, तो खिलाडियों को कंकड मिट्टी में नहीं खेलना पड़ता।
उधर स्कूल प्रधानचार्य अजय कुमार ने कहा कि जो मैट खरीदे गए थे, उनका उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि अभी स्कूल के पास इतने फंड नहीं है कि 2 लाख रूपये के मैट खरीद सकें। हालाँकि खिलाडियों को टूर्नामेंट की तैयारी करनी है, तो उन्हें मिट्टी के मैदान पर ही प्रैक्टिस करनी पड़ रही है।