समस्त पहलुओं के अध्ययन के बाद भांग की खेती को कानूनी दायरे में लाने पर बनाएंगे कारगर नीति : जगत सिंह नेगी

बागवानी मंत्री ने ज़िला प्रशासन को मिंजर मेले पर भांग से बने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाने के दिए निर्देश। प्रदेशवासियों की राय और सुझावों को शामिल किया जाएगा। जंगलों में ड़ाले जाएंगे बिना नशे वाले भांग के बीज ।  भांग की खेती बारे जागरूकता शिविर लगाने के  निर्देशनिर्देश। एफआरए और एफसीए के मामलों को निपटाने के प्रति प्रदेश सरकार गम्भीर। सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर ने चंबा में भांग पर आधारित उद्योग लगाने के लिए पैरवी की।
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चंबा । हिमाचल सरकार वैज्ञानिक तरीके से भांग की खेती को कानूनी दायरे  में लाने के लिए सभी पहलुओं के अध्ययन तथा प्रदेशवासियों की राय लेने के बाद बहुत जल्द कारगर नीति बनाएगी। प्रदेश में भांग की वैध और वैज्ञानिक तरीके से खेती के अध्ययन हेतु गठित विशेष समिति के अध्यक्ष एवं राजस्व, बागवानी व जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने यह विचार  मंगलवार को स्थानीय बचत भवन में विभिन्न हितधारकों और पंचायती राज प्रतिनिधियों से चर्चा के लिए आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में बोलते हुए व्यक्त किये। 

    बैठक में समिति के सदस्य एवम सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक डॉ. हंस राज, केवल सिंह पठानिया, डॉ जनक राज, नीरज नैयर, डीएस ठाकुर, पूर्व विधायक ठाकुर सिंह भरमौरी, विशेष आमंत्रित सदस्य एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता देवेन खन्ना, ज़िला परिषद अध्यक्ष नीलम कुमारी, उपायुक्त अपूर्व देवगन, पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव, एडीएम अमित मैहरा, अतिरिक्त आयुक्त राज्य कर एवम आबकारी राजीव डोगरा विशेष रूप से उपस्थित रहे।
    बागवानी मंत्री ने कहा कि प्रदेश का जलवायु भांग के उत्पादन के लिए सहायक है। यहां उगने वाली भांग का प्रयोग औषधीय और औद्योगिक उत्पादों में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समिति कोई भी ठोस नीति बनाने से पहले इस बारे खुली चर्चा से लोगों की शंकाओं को दूर करेगी।  इस विषय में लोगों की राय जानने के साथ उनके बहुमूल्य सुझाव लेने के लिए प्रदेशभर में समिति द्वारा बैठकें आयोजित की जा रही हैं। प्रदेश के लोगों से चर्चा कर नीति निर्धारण के लिए उनकी राय लेने का यह प्रदेश में पहला उदाहरण है।  समिति ने इस मौके पर विभिन्न हितधारकों और जनप्रतिनिधियों से खुली चर्चा व विचार-विमर्श कर, इस विषय पर उनकी राय व सुझाव मांगे। 
  बागवानी मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार लोगों की आर्थिकी को सशक्त बनाने के साथ युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार व स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए विशेष कार्ययोजना के तहत कार्य कर रही है।  उन्होंने कहा कि भांग की वैज्ञानिक खेती से बनने वाले अनेकों उत्पादों का उपयोग आज हमारे देश सहित कई देशों में हो रहा है। उन्होंने कहा कि शोध के आधार पर भांग के ऐसे बीज तैयार किए जाएंगे जिसके पौधों में नशा नहीं होगा और औद्योगिक उपयोग के लिए किसानों द्वारा उसकी खेती की जाएगी। औषधीय गुणों से परिपूर्ण भांग की खेती करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लाइसेंस दिए जाएंगे और सम्पूर्ण प्रशासकीय निगरानी में इसकी खेती की जाएगी।

 
उन्होंने कहा कि प्रदेश के जंगलों में भी बिना नशे वाले भांग के बीज डाले जाएंगे, जिनका उपयोग औद्योगिक उत्पादों के निर्माण में किया जाएगा। जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में उगने वाली भांग सर्वोत्तम औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इससे बनने वाले औद्योगिक और औषधीय उत्पादों से प्रदेश की आर्थिकी मजबूत होने के साथ,नशे के तौर पर इसके उपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।  बागवानी मंत्री ने ज़िला प्रशासन को मिंजर मेले पर भांग से बने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाने के दिए निर्देश ताकि लोगों की इसकी सही उपयोगिता बारे जानकारी उपलब्ध हो सके। उन्होंने प्रशासन को भांग की खेती बारे जागरूकता लाने के लिए शिविर लगाने के  भी निर्देश दिए।
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 राजस्व मंत्री ने लोगों द्वारा एफआरए और एफसीए के बारे उठाये गए मामलों पर बोलते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ऐसे सभी मामलों को निपटाने के प्रति गम्भीर है। जिसके लिए प्रशासन द्वारा सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।  उन्होंने यह भी कहा कि सड़क सुविधा से वंचित  क्षेत्रों में भांग की खेती के लाइसेंस मिलने की अवस्था में सरकार द्वारा रज्जू मार्गों का प्रबंध भी किया जाएगा ।   इससे पहले बागवानी मंत्री  तथा समिति के सभी सदस्यों ने  उद्यान विभाग की सरोल स्थित पौधशाला का निरीक्षण किया तथा अधिकारियों को  उन्नत किस्म के फलदार पौधे विकसित करने के निर्देश भी निर्देश दिए । 
भांग के 5 प्रतिशत दुष्प्रभावों की वजह से 95 प्रतिशत गुणों को नकार नहीं सकते : सुंदर सिंह ठाकुर
सीपीएस ने चंबा में भांग पर आधारित उद्योग लगाने के लिए पैरवी की।  समिति के सदस्य और मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल के पहाड़ों में प्राकृतिक रूप से कई तरह के पेड़-पौधे उगते हैं जो कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं। लेकिन आज तक हम इन औषधीय पौधों का सही उपयोग नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि भांग की वैज्ञानिक तरीके से खेती प्रदेश की आर्थिकी के साथ गंभीर बीमारियों के उपचार में वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि इसके दुष्प्रभावों की वजह से हमने कभी इसके सदगुणों पर बात ही नहीं की।
उन्होंने कहा कि भांग के 5 प्रतिशत दुष्प्रभावों की वजह से इसके 95 प्रतिशत औषधीय सदगुणों को भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि भांग के पौधे के विभिन्न हिस्सों से कई प्रकार के उत्पाद तैयार हो सकते हैं।   उन्होंने कहा कि कैंसर जैसी कई घातक बीमारियों के दर्द से लड़ने की ताकत औषधी के रूप में इसमें  शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसमें औषधीय गुण इतने अधिक हैं कि इसकी वैज्ञानिक खेती के आधार पर हम शोध करके कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए दवाइयों का उत्पादन कर सकते है। 
      उन्होंने सभी हितधारकों को आश्वस्त किया कि इसकी वैध और वैज्ञानिक विधि से खेती को लेकर घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी खेती  सरकार की मंजूरी और निगरानी में ही हो सकेगी।  इस दौरान समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अधिवक्ता देवेन खन्ना ने पावर प्वाइंट प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से भांग की खेती, उसके उपयोग, विश्व में हो रहे उत्पादन और प्रदेश में उसकी संभावनाओं पर प्रकाश डाला।    इससे पहले, स्थानीय विधायक नीरज नैयर ने समिति के अध्यक्ष एवं बागवनी मंत्री जगत सिंह नेगी तथा अन्य सदस्यों का स्वागत किया। 
     बैठक   में समिति के सभी सदस्य   विधायक डॉ. हंस राज, केवल सिंह पठानिया, डॉ जनक राज,  ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए तथा भांग की खेती पर विस्तृत  चर्चा  की।  जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए हितधारकों और पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों ने अपने विचार, सुझाव और शंकाएं समिति के समक्ष रखीं। इन पर गहन चर्चा करते हुए समिति सदस्यों ने हितधारकों द्वारा उठाये गईं शंकाओं का समाधान किया और इस विषय पर आम लोगों से भी सुझाव मांगे। विधायक डीएस ठाकुर ने कार्यक्रम का समापन करते हुए आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस दौरान जिले के एसडीएम, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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