एसीडीपी ही होगा किसानों को लाभान्वित करने का मुख्य आधार : डॉ सुनील चौहान

जाइका फसल विविधकरण परियोजना में सब प्रोजेक्टस डिवेल्पमेंट प्लान बनाए जाने की मुहिम तेज ।  मंडी और कुल्लू जिलों में पीएमसी के सहयोग से एसडीपी के लिए कार्यशालाएं आयोजित ।  
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हमीरपुर ।  जाइका के सहयोग से संचालित की जा रही हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना के तहत राज्य भर में प्रस्तावित सैंकडों सब प्रोजेक्टस के लिए सब प्रोजेक्ट डिवेल्पमेंट प्लान बनाए जाने की मुहिम शुरू हो गई है। इसके लिए एसपीएमयू के अधिकारियों के साथ परियोजना के लिए अनुबंधित निजी कंपनी एईकॉम के विशेषज्ञों ने मंडी व कुल्लू जिलों में परियोजना के अधिकारियों व कर्मचारियों से समीक्षात्मक चर्चा की। मंडी व कुल्लू जिलों में परियोजना के प्रबंधकों से डिवेल्पमेंट प्लान बनाए जाने के लिए जरूरी आंकडों पर चर्चा के बाद उन्हें एसपीएमयू व पीएमसी विशेषज्ञों की ओर से इसमें बेहतरी के लिए सुझाव दिए गए।  


इस प्लान को विकसित करने के विभिन्न कंपोनेंटस में सुधार की दृष्टि से जोड़े गए बिंदुओं को शामिल करके ही इस विषय पर आगे बढऩे के निर्देश परियोजना के उच्च अधिकारियों की ओर से दिए गए।  परियोजना निदेशक डॉ सुनील चौहान ने बताया कि प्रदेश भर में कुल 306 सब प्रोजेक्टस यानि माइनर व माइक्रो इरिगेशन स्कीमों का निर्माण किया जाएगा। इनमें दस को जल शक्ति विभाग के मौजूदा ढांचे के साथ सांझेकरण की युक्ति से आगे बढ़ाने की योजना है, जबकि 296 सिंचाई योजनाओं का निर्माण परियोजना की ओर से सीधे तौर पर किए जाने की दिशा में काम आगे बढ़ रहा है।


डॉ चौहान ने बताया कि इन सभी सिंचाई योजनाओं में सब प्रोजेक्ट डिवेल्पमेंट प्लान बनाए जाने हैं। इन्हीं के आधार पर फसल विविधिकरण से किसानों को लाभान्वित करने का मकसद पूरा किया जाएगा। इसी क्रम में हर जिले में प्रस्तावित सब प्रोजेक्टस में प्लान तैयार करने की दिशा में पीएमसी के सहयोग से कार्यशालाओं का आयोजन शुरू किया गया है। मंडी व कुल्लू जिलों में दो दिन तक जिस तरह से कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, ठीक वैसे ही बाकी दस जिलों में भी इसका आयोजन होगा।

एसडीपी के तहत  इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेल्पमेंट प्लान में कूहलों के निर्माण, सिंचाई योजना की मशीनरी व ढांचा निर्माण, फार्म मशीनरी में जैसे पावर वीडर, चेफ कटर, ट्रैक्टर, कृषि उपकरणों का प्रावधान आदि शामिल है। इसी में लाइवलीहुड डिवेल्पमेंट प्लान भी शामिल होगा जिसमें यह किसानों के यहां से यह जानकारियां जमा की गई हैं कि वे परंपरागत कौन-कौन सी फसलें उगा रहे थे और उनकी फ्लैगशिप फसलें कौन-कौन सी हैं, जिन्हें प्लान में प्रोमोट किया जा सकता है।

इसके लिए खंड व जिला स्तर पर अधिकारियों की ओर से आंकड़े जमा किए गए हैं। इसी क्रम में मूल्य वर्धन श्रृंखला यानि वैल्यू चेन और विपणन सुविधाओं के स्थापन व विस्तार पर भी व्यापक योजना तैयार की जानी है। फसल विविधकरण योजना में अगले चार साल व आठ फसल क्रम में उगने वाली फसलों को उगाने की विस्तृत योजना भी तैयार की जा रही है।

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