किन्नौर की पहाड़ियों पर दिखे दुर्लभ IBEX, पर्यटकों ने कैद की तस्वीरें

रोपा घाटी की पहाड़ियों (Ropa Valley of Kinnaur) पर आईबेक्स यानी पहाड़ी जंगली बकरों का बहुत बड़ा झुंड देखने को मिला। जिसे स्थानीय लोगों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
 | 
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों मे पर्यटक इन दिनों स्नो लेपर्ड और आईबेक्स की तस्वीरें लेने व उनके दीदार के लिए रोजाना पहाड़ों की ओर देखकर उनका इंतजार करते हैं, लेकिन यह दोनों जंगली जानवर बहुत कम ही पर्यटकों और स्थानीय लोगों को दिखते हैं। रविवार को जिले के रोपा घाटी की पहाड़ियों (Ropa Valley of Kinnaur) पर आईबेक्स यानी पहाड़ी जंगली बकरों का बहुत बड़ा झुंड देखने को मिला। जिसे स्थानीय लोगों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।

किन्नौर। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों मे पर्यटक इन दिनों स्नो लेपर्ड और आईबेक्स की तस्वीरें लेने व उनके दीदार के लिए रोजाना पहाड़ों की ओर देखकर उनका इंतजार करते हैं, लेकिन यह दोनों जंगली जानवर बहुत कम ही पर्यटकों और स्थानीय लोगों को दिखते हैं। रविवार को जिले के रोपा घाटी की पहाड़ियों (Ropa Valley of Kinnaur) पर आईबेक्स यानी पहाड़ी जंगली बकरों का बहुत बड़ा झुंड देखने को मिला। जिसे स्थानीय लोगों ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।

यह भी पढ़ेंः-हिमाचल: दो घरों में भड़की आग से नौ कमरे और तीन गोशालाएं राख


किन्नौर जिले के ऊंची पहाड़ियों पर रहने वाले आईबेक्स यानि पहाड़ी जंगली बकरों का वजन 80 किलो से एक क्विंटल तक हो सकता है और इनके सूंघने की शक्ति इतनी तेज होती है कि वह लोगों की आहट और आवाजाही को कई किलोमीटर दूर से आभास कर सकते हैं। आईबेक्स इस वर्ष रोपा घाटी के पहाड़ियों के निचले हिस्सों तक आए हुए हैं, क्योंकि आईबेक्स पीने के पानी की तलाश व स्वयं को दूसरे जानवरों से बचाव करते हुए सफर करते हैं और रोपा क्षेत्र में लोग आईबेक्स को पवित्र जानवर मानते हैं। 

यह भी पढ़ेंः-30 सितंबर तक मिलेगा पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ

आईबेक्स को बहुत ही दुर्लभ किस्म का जंगली या पहाड़ी बकरा भी कहा जा सकता है। यह ऐसी पहाड़ियों पर रहते हैं जहां आदमी तो दूर, जंगल के खूंखार जानवर भी इन तक आसानी से नहीं पहुंच पाते। जानकार बताते हैं कि किन्नौर (Tourism in kinnaur) के कई क्षेत्रों मे अब आईबेक्स ग्रामीण क्षेत्रों तक भी पहुंच रहे हैं और पीने के पानी के अलावा शुद्ध घास भी खा रहे हैं। जानकारों के अनुसार आईबेक्स किसी मानव के द्वारा छुए हुए घास या अनाज को नहीं खाते हैं। केवल जंगल में शुद्ध साफ घास को ही खाते हैं और पीने के पानी के लिए वे या तो सतलुज या फिर स्वच्छ नदी नालों में जाते हैं।

साभारः ETV BHARAT

फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक  करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।