JOA IT Peper Leak : पहले भी निलंबित हो चुकी है महिला कर्मचारी, जानें क्या थे आरोप
हमीरपुर। जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (JOA) आईटी भर्ती परीक्षा का पेपर बेचने की आरोपी हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (HPSSC) की महिला कर्मचारी पूर्व में भी जाली दस्तावेज के एक मामले में निलंबित हो चुकी है। हालांकि बाद में उसे सरकार से क्लीन चिट मिल गई थी। चयन आयोग की सिफारिश पर सरकार ने महिला कर्मचारी की तीन पदोन्नतियां रोकने के आदेश जारी किए थे।
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आरोपी महिला का बड़ा बेटा कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से वर्ष 2021 में प्रदेश के एक सरकारी विभाग में तृतीय श्रेणी के पद की भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका है। महिला ने अंतरजातीय विवाह किया है। उसके सहयोगी कर्मचारी का आरोप है कि वरिष्ठ सहायक के पद पर सेवारत इस महिला ने अनुसूचित जाति का जाली दस्तावेज बनाया है। इसके आधार पर महिला ने अन्य लाभ हासिल करने का प्रयास किया। हालांकि, उस प्रमाण पत्र का लाभ मिला या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।
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21 साल से सेवाएं दे रही है महिला
महिला कर्मचारी ने आयोग को दिए जवाब में कहा था कि नौकरी के दौरान सही दस्तावेज दिए हैं। राजस्व विभाग से यह त्रुटि हुई है। वर्तमान में यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। संबंधित महिला कर्मचारी का चयन प्रदेश सचिवालय के लिए हुआ था। इसके बाद कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में महिला ने वर्ष 2001 में ज्वाइन किया। वह 21 साल से आयोग में सेवाएं दे रही है।
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एक महीने बाद होनी थी पदोन्नति
तीन साल पहले ही आयोग ने महिला को गोपनीय शाखा में वरिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त किया। जनवरी 2023 में महिला की पदोन्नति अधीक्षक के पद पर होनी है, लेकिन उससे पहले ही महिला विजिलेंस के रडार में आ गई। महिला विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर की रहने वाली है, लेकिन हमीरपुर के वार्ड नंबर सात स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में अपना घर बनाया है। यहां अपने दो बच्चों और पति के साथ रह रही थी।
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जाली दस्तावेज मामले में हुई थी सस्पेंड
जांच में सामने आया है कि महिला का छोटा बेटा हमीरपुर में डांस और फिटनेस अकादमी चलाता है। महिला के पति की पूर्व में निजी बस थी, लेकिन बाद में उसने इसे बेच दिया। विजिलेंस महिला कर्मचारी के परिवार के हर पहलू को ध्यान में रखकर जांच कर रही है। उधर, कर्मचारी चयन आयोग के सचिव डॉ. जितेंद्र कंवर ने बताया कि महिला जाली दस्तावेज से संबंधित किसी मामले में पहले सस्पेंड रह चुकी है। सरकार से उसे क्लीन चिट मिली थी। मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
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