हिमाचल : भाजपा बगावत व कांग्रेस जूझ रही भीतरघात से हमीरपुर, बड़सर, भोरंज में बागी मुसीबत

हमीरपुर   जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुसीबतें मुंह फुला कर खड़ी हैं। हमीरपुर, बड़सर और भोरंज में बागी पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं, जबकि सुजानपुर और नादौन में भाजपा को  अपनों  से भी खतरा बना हुआ है। 
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हमीरपुर  ।  कभी भाजपा का गढ़ रहा हमीरपुर जिला इस समय विधानसभा चुनाव में 'बगावत' और 'भीतर घात' से जूझ रहा है। जिला के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुसीबतें मुंह फुला कर खड़ी हैं। हमीरपुर, बड़सर और भोरंज में बागी पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बने हुए हैं, जबकि सुजानपुर और नादौन में भाजपा को 'अपनों' से भी खतरा बना हुआ है।  जिले की राजनीति न केवल पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के लिए, बल्कि उनके समर्थकों के लिए भी खास मायने रखती है, लेकिन इस बार चुनाव में पार्टी का भीतरी ढांचा जिस तरह बंटाधार हो चुका है। उसमें कई मुसीबतें परेशानी का सबब बनी हैं। चुनाव प्रचार के दौरान धूमल खुद हमीरपुर, बड़सर, सुजानपुर और भोरंज में रहे। गढ़ बचाने की चुनौती यहां पर शुरू से ही चर्चा का विषय रही। 

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बड़सर, भोरंज, हमीरपुर तीनों विधानसभा क्षेत्रों में बागियों ने अधिकृत प्रत्याशियों का शुरू से ही विरोध जताया है। अब चुनाव प्रचार के अंतिम दिन भी इन पर काबू कितना पाया जा सका होगा? इसका पता तो वोटिंग के बाद निकलने वाले रिजल्ट से ही चल पाएगा। लेकिन बड़सर में बागी संजीव शर्मा और हमीरपुर में आशीष शर्मा एवं नरेश दर्जी की वजह से पार्टी का भीतरी ढांचा 'हिला' हुआ ही दिखा। भोरंज में भी निर्दलीय पवन ठाकुर की चकाचौंध ने कुछ ऐसे ही हालात बनाए रखे, लेकिन जातीय समीकरणों की भीतरी सतह यहां पर कुछ राहत भाजपाइयों को दिखा रही है। 

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नादौन में वैसे तो भाजपा प्रत्याशी विजय अग्निहोत्री की कांग्रेस के प्रत्याशी सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ सीधी टक्कर है। मगर 'आप' प्रत्याशी शैंकी ठुकराल की मौजूदगी का अहसास दोनों को हो रहा है। यहां भाजपा का भीतरी ढांचा भी कुछ अलग ताना-बाना बुनने में यदि वोटिंग के दिन तक जारी रहा तो फिर हालात यहां भी गुदगुदाने वाले नहीं होंगे।  जिला की राजनीति में इस बार चुनाव प्रचार के दौरान हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में निर्दलीय आशीष शर्मा ही सबसे ज्यादा चर्चा में रहे। उनका प्रचार का तामझाम भी सबसे निराला था। चुनावी जनसभाओं से लेकर प्रचार के अंतिम दिन रोड शो के रूप में उन्होंने हमीरपुर में मुकाबले को खास अंदाज में तिकोना और प्रभावशाली बनाने में कसर नहीं छोड़ी। 


 

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सुक्खू, राणा और लखनपाल को अपने- अपने गढ़ बचाने की चुनौती : 


जिला की राजनीति में आया बदलाव इस बार नादौन से सुखविंदर सिंह सुक्खू, सुजानपुर से राजेंद्र राणा और बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल के लिए गढ़ बचाने की चुनौती भी बना हुआ है। क्योंकि उन्हें 'अपनों' से चुनौती मिली है। यह तीनों सिटिंग विधायक हैं। सुक्खू समर्थक तो नादौन में भावी मुख्यमंत्री के बैनर तले शुरू से ही चुनाव प्रचार को चुनौती में बदलने में कामयाब रहे। 

सुजानपुर में अंतिम दौर तक कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से ही चुनाव लड़ने की स्थिति बनी रही, लेकिन ऐन मौके पर उनकी जगह कैप्टन रंजीत सिंह की मौजूदगी के बीच राणा को  अपनों  के अलावा पार्टी के पुराने कुनबे से भी 'पार' पाना इस बार चर्चा का विषय रहा।  बड़सर में विधायक इंद्र दत्त लखनपाल के खिलाफ पार्टी के भीतर बहुत ज्यादा विरोध हो, ऐसा कुछ तो नहीं दिखा, लेकिन यहां पर भाजपाइयों की खींचतान के बीच वोट कटने की चुनौती तो उन्हें भी झेलनी पड़ रही है। 

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