हिमाचल : अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला का राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने किया शुभारंभ

राज्यपाल ने  कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि ये मेला प्रदेश और यहा का एक संस्कृत मेला बन गया है। मेले में व्यापारिक आदान प्रदान तो होता रहता है। परन्तु यहां विभिन्न प्रकार की संस्कृति की प्रस्तुति हो रही है। यह मेला विशेष स्वरूप रखता है, जिसमें अपने विचारों का आदान प्रदान, विविध संस्कृति और अपने कर्मों का भी आदान प्रदान हो रहा है।
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शिमला ।  हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर शहर में अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले का आज से आगाज हुआ। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मेले का विधिवत शुभारंभ किया। सबसे पहले मेला कमेटी ने राज्यपाल का फूल मालाओं से स्वागत किया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया गया। राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि ये मेला प्रदेश और यहा का एक संस्कृत मेला बन गया है। मेले में व्यापारिक आदान प्रदान तो होता रहता है। परन्तु यहां विभिन्न प्रकार की संस्कृति की प्रस्तुति हो रही है।

यह मेला विशेष स्वरूप रखता है, जिसमें अपने विचारों का आदान प्रदान, विविध संस्कृति और अपने कर्मों का भी आदान प्रदान हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय मे यह मेला और भी बेहतर अंदाज़ से मनाया जाएगा, ऐसा मुझे विश्वास है। उन्होंने 12 नवंबर को होने वाले लोकतंत्र के महापर्व में बढ़-चढ़ कर भाग लेने का आह्वान किया और अपनी पसंद के अनुसार मतदान करने की अपील की।

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कल्चरल प्रोग्राम में परफॉर्म करेंगे कई कलाकार : 


लवी मेले में 11 नवंबर से 14 नवंबर तक रोजाना सांस्कृतिक संध्या होगी, जिनकी तैयारियां पाटबंगला मैदान में चल रही हैं। पहली सांस्कृतिक संध्या में आज अंकुश भारद्वाज अपनी आवाज का जादू दिखाएंगे। इसके अलावा मेले में विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई हैं। चुनाव की तैयारियों के बीच स्थानीय प्रशासन ने मेले व रात में होने वाले कल्चरल प्रोग्रामों की तैयारियां पूरी की हैं, जिसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं।  लवी मेला की पहली सांस्कृतिक संध्या में पहाड़ी लोक गायक रघुवीर सिंह ठाकुर और रमेश ठाकुर, इंडियन आइडल फेम अनुज शर्मा परफॉर्म करेंगे।

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12 नवम्बर को हिमाचली लोक गायक विक्की चौहान, इंडियन आइडल फेम कुमार साहिल और पार्श्व गायक सोनिया शर्मा परफॉर्म करेंगी।  13 नवम्बर को पहाड़ी लोक गायक डिम्पल ठाकुर, राजीव शर्मा और तातरा बॉयज कुलदीप शर्मा की प्रस्तुतियां होंगी।  14 नवम्बर को हिमाचली लोक गायक इन्द्रजीत, हुनरबाज फेम हरमनी ऑफ पाइन्स, पुलिस ऑरकेस्ट्रा, पार्श्व गायक मोहम्मद इरफान अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखरेंगे।

ये है लवी मेले का इतिहास : 


लवी मेला हिमाचल के शिमला स्थित रामपुर बुशहर में प्रतिवर्ष 11 से 14 नवंबर को मनाया जाता है। यूं तो यह मेला लगभग पिछली 3 शताब्दियों से मनाया जा रहा है। किंतु इसे व्यापारिक मेले का आधिकारिक स्वरूप तब मिला, जब सन 1911 में बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह ने तिब्बत सरकार से व्यापारिक संधि की।  इस उपलक्ष्य पर तिब्बत और बुशहर रियासत के व्यापारिक रिश्तों की स्मृति में घोड़े और तलवारें आदान प्रदान की जाती थीं। पहले तिब्बत और अफगानिस्तान से भी व्यापारी यहां अपना सामान बेचने आते थे, किंतु तिब्बत चीन के अधीन होने के बाद यह सब बंद हो गया। 'लवी' शब्द की व्युत्पत्ति के संबंध में विद्वानों में एक मत नहीं है। कुछ इसे ऊन के उस पारंपरिक परिथन के नाम से उत्पन्न बताते हैं, जिसे लोईया कहा जाता है।  

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कुछ विद्वान इसे 'लोई' से मानते हैं व्युत्पत्ति : 


कुछ विद्वान इसे 'लोई' अर्थात ऊन से बने ओहने वाले कपड़े से उत्पन्न मानते हैं। उपयुक्त दोनों मतों में ऊन से बना कपड़े सर्वमान्य है। लवी में ऊन से बनी पट्टियां, टोपी, शॉल, शुक्ष्मे (मोटा कम्बल जुमा वस्त्र), कालीन और स्वेटर प्रमुख रूप से विक्रय के लिए आते हैं। जिसमें पारंपरिक हस्तकला का गरिमा मय प्रदर्शन देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त सूखे मेवे, जिनमें अखरोट, खुमानी प्रमुख हैं, भी इस मेले की विशेषता है।  कुछ व्यापारी किन्नौर का प्राकृतिक शहद भी लाते हैं, जिसकी मेले में भारी मांग रहती है। इस मेले में पशुओं का भी व्यापार होता है, जिसमें भेड़-बकरियां खच्चर और घोड़े प्रमुख रूप से लाए जाते हैं।   

चामूर्थी नर के घोड़े मेले की विशेषता : 


चामूर्थी नर के घोड़े इस मेले की विशेषता हैं। जिन्हें खरीदने दूर-दराज से आते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामीण लघु उद्योगों द्वारा निर्मित कृषि औजार जैसे कस्सी, कुवाली क्राट, दशति आदि वस्तुएं भी विक्रय के लिए मेले में आती हैं। सन 1985 में इस मेले को अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक मेले का दर्जा दिया गया। लवी मेला समिति लवी मेला मैदान और मुख्य मार्ग के किनारे व्यापारियों की सुविधा के लिए अस्थाई दुकानों का प्रबंध करती है।   इस मेले में 4 दिनों में मुख्य स्थल पर विभिन्न विशालों द्वारा प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं, जो अत्यधिक ज्ञान वर्धक होती हैं।    

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