Himachal budget 2023: बजट में किसानों के लिए क्या होगा खास, क्या पूरी होगी हर मांग?

Himachal pradesh budget 2023: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के पहले बजट से प्रदेश के किसानों को खासी उम्मीदें हैं। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में प्रावधान के साथ ही बीज और खाद पर सब्सिडी बढ़ाने की उम्मीद जताई जा रही है।
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 हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार का पहला बजट (Himachal pradesh budget 2023) सत्र आज से शुरू हो गया है। बजट सत्र (Himachal pradesh budget session 2023-24) से पहले प्रदेश सरकार ने 15 फरवरी तक लोगों से बजट में किन-किन योजनाओं को शामिल किया जाए, इसके सुझाव मांगे थे। प्रदेश की जनता ने ई-मेल और पत्र के जरिए सरकार को बजट के लिए सुझाव भी दे दिए हैं। प्रदेश की नई सरकार के पहले बजट से प्रदेश के किसानों को भी खासी उम्मीदें हैं।

शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार का पहला बजट (Himachal pradesh budget 2023) सत्र आज से शुरू हो गया है। बजट सत्र (Himachal pradesh budget session 2023-24) से पहले प्रदेश सरकार ने 15 फरवरी तक लोगों से बजट में किन-किन योजनाओं को शामिल किया जाए, इसके सुझाव मांगे थे। प्रदेश की जनता ने ई-मेल और पत्र के जरिए सरकार को बजट के लिए सुझाव भी दे दिए हैं। प्रदेश की नई सरकार के पहले बजट से प्रदेश के किसानों को भी खासी उम्मीदें हैं।


बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में आने वाले तीन वर्षों तक देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का प्रावधान अथवा लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद अब हिमाचल प्रदेश सरकार के बजट से भी किसान खास उम्मीद जता रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के किसानों का कहना है कि रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती से लोगों को शुद्ध फल-सब्जियां उपलब्ध होती हैं। ऐसे में इसे बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार को उचित कदम उठाने चाहिए।

किसानों ने पशुओं को लेकर की यह मांग

किसानों की मांग है कि इस बार के बजट में बीज और खाद पर सब्सिडी बढ़ाई जानी चाहिए। किसानों द्वारा लिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर कम की जानी चाहिए। इसके साथ ही किसानों के उत्पाद का सही मूल्य मिलने और बाजार उपलब्ध करवाने, किसानों द्वारा पशुओं को पालने पर भी इंसेंटिव देने की मांग की गई है, ताकि कम खर्च पर किसानों को अपने उत्पाद का सही मूल्य मिल सके और उनकी आमदनी भी बढ़ सके। इसके साथ ही बेसहारा पशुओं को भी उचित ठिकाने लगाने की मांग है।

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