हिमाचल में 'पॉलिटिकल सर्जरी' करेंगे चिकित्सक, एक महीने में 4 विशेषज्ञों का इस्तीफा

चुनाव लड़ना, न लड़ना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। 
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चुनाव लड़ना, न लड़ना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। हिमाचल में 'पॉलिटिकल' सर्जरी करेंगे डॉक्टर, एक महीने में 4 विशेषज्ञों का इस्तीफा

शिमला। वर्ष 2022 चल रहा है। हिमाचल प्रदेश का चुनावी साल है। राजनीतिक पार्टियों में जोड़-तोड़ शुरू हो चुका है। कई नेता अभी से चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं। जनता में जाकर उनका दुख-दर्द और समस्याएं जान रहे हैं, ताकि सरकार में आएं तो उनका निवारण किया जा सके। मगर इस सबके बीच अब हिमाचल में पॉलिटिकल सर्जरी के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक भी तैयार हैं। 


हिमाचल के विभिन्न अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सक राजनीति की सर्जरी के लिए तैयार हो गए हैं। हिमाचल में एक महीने में कुल चार विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी नौकरी से रिजाइन चुके हैं। इनमें IGMC के मशहूर न्यूरो सर्जन डॉ. जनक राज, चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. पन्ना लाल, कैंसर अस्पताल शिमला में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ललित चंद्रकांत और अब हमीरपुर से डॉ. पुष्पेंद्र वर्मा ने भी नौकरी से रिजाइन कर दिया है। डॉ. पुष्पेंद्र कांग्रेस से टिकट चाह रहे हैं।


रिजाइन के बाद डॉ. जनक राज भरमौर-पांगी विधानसभा क्षेत्र में प्रचार अभियान में जुट गए हैं। इसके तहत वह गांव-गांव और घर-घर जाकर लोगों से संपर्क साध रहे हैं। डॉ. जनक बताते हैं कि सेवा तो मेडिकल में रहते हुए भी कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्र के हालात देखकर उन्होंने राजनीति में आने का निर्णय लिया। व्यवस्था को संभालने के लिए चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। डॉ. जनक राज चंबा जिला के भरमौर क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं।  


वहीं, डॉ. पन्ना लाल ने भी समय से पहले रिटायरमेंट (VRS) ली है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. पन्ना लाल धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। कुछ रोज पहले उन्होंने कांग्रेस जॉइनिंग की है। वहीं, कैंसर अस्पताल शिमला के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ललित चंद्रकांत रिजाइन करने के बाद मंडी के नाचन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर सियासत की सर्जरी करना चाहते हैं। वैसे वह लंबे समय से अपने चुनाव क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं।

हालांकि डॉक्टर भी राजनीति में उतर कर व्यवस्था परिवर्तन की बातें कर रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए यह जरूरी भी है, लेकिन हाल-फिलहाल में जब विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। 2017 के चुनाव में IGMC शिमला के मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. राजेश कश्यप भी सियासत में कदम की वजह से डॉक्टरी छोड़ चुके हैं। चुनाव लड़ना, न लड़ना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। 

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