IGMC Shimla के ट्रॉमा सेंटर में 2.30 करोड़ का घोटाला, जयराम ठाकुर बोले, ताक पर रखे नियम
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार पर एक और बड़े घोटाले के आरोप लगे हैं। पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि शिमला के आईजीएमसी ट्रॉमा सेंटर में मैनपावर की नियुक्ति के नाम पर करोड़ों का फर्जी बिल तैयार किया गया। डेढ़ साल से बंद पड़े इस ट्रॉमा सेंटर में सैकड़ों कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति की गई और बिना किसी मरीज का इलाज किए 2.30 करोड़ रुपये का बिल सरकार पर थोप दिया गया।
जयराम ठाकुर ने खुलासा किया कि यह घोटाला केंद्र सरकार द्वारा जनहित के लिए भेजे गए पैसों की खुलेआम लूट है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की सरकार ने अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए कायदे-कानून ताक पर रख दिए। एक बंद ट्रॉमा सेंटर में सैकड़ों कर्मचारियों को ठेकेदारों के माध्यम से नियुक्त कर दिया गया, और अब वेतन के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है।
फीता काटने का शौक, पर ट्रॉमा सेंटर चालू नहीं
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने ट्रॉमा सेंटर का उद्घाटन 9 मार्च 2023 को सिर्फ फीता काटने और पट्टिका लगाने के लिए किया, लेकिन इसे चालू करने में 19 महीने का समय लगा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अपने चहेते ठेकेदारों को मैनपावर की नियुक्ति का ऑर्डर तो दे दिया, लेकिन ट्रॉमा सेंटर को फंक्शनल करना भूल गई। नतीजा यह हुआ कि बिना इलाज के हर महीने ठेकेदारों का बिल बनता रहा, जो अब 2.30 करोड़ तक पहुंच गया है।
केंद्र सरकार से मिले फंड का किया दुरुपयोग
जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए फंड का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटर और कैंसर टर्शरी सेंटर जैसी परियोजनाएं केंद्र सरकार की फंडिंग से बन रही हैं, लेकिन राज्य सरकार बार-बार इनका फीता काटकर अपना श्रेय लेने की कोशिश कर रही है।
आरटीआई से खुलासा : नियुक्तियां बिना कारण
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आरटीआई के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों से यह भी सामने आया कि ट्रॉमा सेंटर के लिए रेडियोग्राफर, फार्मासिस्ट, वार्ड बॉय, ट्रॉली मैन और सफाई कर्मचारी जैसे 126 पदों पर भर्तियां की गईं, जबकि सेंटर चालू ही नहीं था। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर एक बंद सेंटर के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति का क्या औचित्य था?
विरोध और प्रदर्शन के बाद खुलासा
जयराम ठाकुर ने बताया कि हाल ही में ट्रॉमा सेंटर के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर वेतन न मिलने की शिकायत की थी, जिसके बाद यह मामला खुलकर सामने आया। कर्मचारियों ने वेतन न मिलने पर कई बार प्रदर्शन भी किया है। जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुक्खू से इस पूरे मामले में जवाब मांगा है और कहा कि प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि 19 महीने तक एक तैयार प्रोजेक्ट को चालू करने में इतनी देरी क्यों की गई। उन्होंने इसे सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बताया है।
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