हिमाचल प्रदेश से मानसून विदा, जानें इस साल कैसा रहा बारिश का स्तर
शिमला। हिमाचल प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून, जो 27 जून को प्रदेश में आया था, अब आंशिक रूप से विदा हो चुका है और अगले एक-दो दिनों में पूरी तरह से समाप्त होने की संभावना है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून के दौरान प्रदेश में कुल 600.9 मिमी बारिश हुई, जो कि सामान्य 734.4 मिमी से 18 प्रतिशत कम है। हालांकि, यह कमी होते हुए भी इसे सामान्य मानसून श्रेणी में रखा गया है।
इस साल, 124 वर्षों में प्रदेश के 97वें स्थान पर सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जबकि 1922 में 1314.6 मिमी के साथ सबसे अधिक बारिश हुई थी। 2024 का मानसून हिमाचल प्रदेश में सामान्य और कम बारिश दोनों की स्थिति में रहा। मानसून 27 जून को हिमाचल में देर से पहुंचा और 29 जून तक पूरे प्रदेश में फैल गया। जून महीने में 46.2 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 101.1 मिमी के मुकाबले 54 प्रतिशत कम थी। ऊना, सोलन, सिरमौर, शिमला, मंडी, लाहौल-स्पीति, कुल्लू और बिलासपुर जिलों में भारी कमी देखी गई।
जुलाई में सामान्य 255.9 मिमी के मुकाबले 180.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 29 प्रतिशत कम थी। कांगड़ा जिले में सबसे अधिक बारिश 581.5 मिमी दर्ज की गई, जबकि कुल्लू, मंडी और शिमला जैसे कुछ जिलों में सामान्य बारिश हुई। अगस्त में बारिश के स्तर में सुधार हुआ, 243.6 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से सिर्फ 5 प्रतिशत कम थी। शिमला, सिरमौर और बिलासपुर में अधिक बारिश दर्ज की गई, जबकि कुल्लू, हमीरपुर और किन्नौर में कमी रही।
सितंबर में 125.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 120.6 मिमी से 4 प्रतिशत अधिक थी। सिरमौर जैसे जिलों में अत्यधिक बारिश हुई, जबकि लाहौल-स्पीति में भारी कमी रही। इस वर्ष भी कई जिलों में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं हुईं। कुल्लू, मंडी और शिमला में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ। कुल्लू जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा, जहाँ इन घटनाओं ने कई लोगों की जान ली।
कुल मिलाकर इस मानसून के दौरान हिमाचल प्रदेश में बारिश को सामान्य श्रेणी में रखा गया है, लेकिन पानी की उपलब्धता और लैंडस्लाइड्स के खतरों को लेकर चिंता बनी हुई है।
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