हिमाचल सरकार की 'हिम कुक्कुट पालन योजना' ग्रामीण स्वरोजगार का नया आधार
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई 'हिम कुक्कुट पालन योजना' ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार का महत्वपूर्ण साधन बनती जा रही है। यह योजना न केवल ग्रामीण आबादी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि उनके प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार की जरूरतों को भी पूरा कर रही है।
मंडी/गोहर। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई 'हिम कुक्कुट पालन योजना' ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार का महत्वपूर्ण साधन बनती जा रही है। यह योजना न केवल ग्रामीण आबादी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि उनके प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार की जरूरतों को भी पूरा कर रही है।
इस योजना का उद्देश्य पशुपालन के साथ मुर्गी पालन को जोड़कर ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि करना है। योजना के तहत मुर्गी पालन पर होने वाले कुल पूंजी निवेश का 60 प्रतिशत अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है, जबकि लाभार्थी किसान को केवल 40 प्रतिशत का खर्च वहन करना पड़ता है।
योजना के तहत सबसे पहले लाभार्थी किसानों को सरकारी पोल्ट्री फार्म में 15 दिनों से लेकर एक महीने तक का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण के बाद, उन्हें 3000 मुर्गी चूजे दिए जाते हैं, जो तीन किस्तों में वितरित किए जाते हैं।
गोहर उपमंडल के दुगराईं गांव की हेमा देवी ने इस योजना का लाभ उठाते हुए आत्मनिर्भरता की राह चुनी। उन्होंने पशुपालन विभाग के निर्देशन में सुंदरनगर के सरकारी पोल्ट्री फार्म से मुर्गी पालन का 15 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। जुलाई 2024 में उन्हें पहली किस्त के रूप में 1000 चूजे प्राप्त हुए।
हेमा देवी को इस योजना के तहत 88 हजार रुपए की राशि जमा करवाने पर एक हजार मुर्गी चूजे के साथ-साथ 60 फीड बैग, 30 फीडर, और 30 ड्रिंकर भी प्रदान किए गए। दूसरी और तीसरी किस्त के लिए भी उन्हें प्रति किस्त 81 हजार रुपए जमा करवाने होंगे, जिसके बाद उन्हें विभाग द्वारा 1000 मुर्गी चूजे और 60 फीड बैग और दिए जाएंगे।
हेमा देवी ने बताया कि बाजार में चिकन की मांग अधिक होने पर उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं, जिससे एक हजार मुर्गों पर 50 हजार से एक लाख रुपए तक का लाभ अर्जित कर पाती हैं। उन्हें मुर्गी शेड के लिए भी सरकार की ओर से 1 लाख 60 हजार रुपए की सब्सिडी प्रदान की जा रही है।
पशु चिकित्सा अधिकारी गोहर, डॉ. नवनीत चंदेल ने कहा कि इस योजना के तहत ऐसे किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है जिनका प्राथमिक व्यवसाय कृषि और पशुपालन है। इससे किसानों को खेती-बाड़ी के साथ-साथ अतिरिक्त आय के साधन मिल रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों से आह्वान किया कि वे इस कल्याणकारी योजना का लाभ उठाकर अपने जीवन स्तर को सुधारें।
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