धर्मशाला की डल झील फिर सूखने लगी, मछलियों पर भी मंडराया खतरा
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित ऐतिहासिक डल झील एक बार फिर से पानी के रिसाव की समस्या से जूझ रही है। पिछले कई वर्षों से यह झील इस गंभीर समस्या का सामना कर रही है, लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान अभी तक नहीं निकाला जा सका है। रिसाव के चलते झील के पानी का स्तर लगातार घटता जा रहा है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और यहां की मछलियों के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण न केवल डल झील बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा है। झील का सूखना इस क्षेत्र के जैव विविधता पर गहरा असर डाल रहा है। राधाष्टमी पर्व के दौरान झील सूखने की कगार पर आ गई थी, जिसे अस्थायी रूप से जल शक्ति विभाग ने पेयजल योजना के पानी से भरा था। लेकिन अब पुनः रिसाव के कारण झील का पानी तेजी से कम हो रहा है।
प्रशासनिक अनदेखी और असफल प्रयास
डल झील की सुंदरता और उसके पर्यावरणीय महत्व को बनाए रखने के लिए प्रशासन ने पहले भी कई प्रयास किए हैं, लेकिन स्थायी समाधान की कमी के कारण ये सारे प्रयास असफल रहे। पूर्व में राजस्थान से मुल्तानी मिट्टी मंगवाई गई थी, जिसे झील के रिसाव वाले हिस्सों में डाला गया था। इस प्रक्रिया पर 40 से 50 लाख रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।
झील की बिगड़ती स्थिति और प्रशासनिक अनदेखी से यहां के पर्यटन उद्योग पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पर्यटक, जो मैक्लोडगंज और धर्मशाला की सुंदरता देखने आते हैं, डल झील में पानी के बजाय गाद देखकर निराश हो जाते हैं। यह न केवल झील की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर रहा है, बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन भी पैदा कर रहा है।
प्रशासन का कदम
डल झील में रिसाव की सूचना मिलने पर एसडीएम धर्मशाला संजीव भोट ने झील का निरीक्षण कराया और नगर निगम व जल शक्ति विभाग को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रारंभिक तौर पर मछलियों को बचाने के लिए उपाय करने के लिए कहा है और जल शक्ति विभाग से समय-समय पर झील में पानी की आपूर्ति बनाए रखने के लिए कहा गया है। साथ ही, पूर्व में किए गए सर्वेक्षणों की रिपोर्ट भी मांगी गई है, ताकि समस्या के समाधान के लिए आगामी कदम उठाए जा सकें।
हालांकि, झील की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए यह साफ है कि पर्यावरणीय संकट और प्रशासनिक अनदेखी दोनों ही इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। डल झील को बचाने के लिए ठोस और स्थायी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि यह ऐतिहासिक और पर्यावरणीय धरोहर सुरक्षित रह सके।
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