नौकरी छोड़ पूरा कर रहीं फोक संगीत का शौक, रीता के धीयां गाने में छुपा समाज का गहन रहस्य
शब्द, स्वर और ताल यानी धुन से जो सबको भावविभोर कर दे, वही गीत और संगीत है। गीत, साहित्य की सबसे लोकप्रिय विधा है। हर कोई गीत-संगीत को सुनना पसंद करता है। संगीत जब फोक पद्धति में हो तो सभी भावविभोर हो जाते हैं। हिमाचली फोक में भी यही देखते और सुनने को मिलता है। बैजनाथ को फटाहर की रहने वाली रीता पुरहान फोक संगीत की दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बना चुकी हैं।
फोक गायिका रीता पुरहान का हाल ही में एक गाना रीलिज हुआ है धीयां। धीयां गाने के माध्यम से रीता ने समाज को बेटियों की अहमियत से रूबरू करवाने की कोशिश की है। रीता ने कहा कि गाने के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि बेटियां भी समाज को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है। अगर बेटियां न हो तो वंश तक आगे न बढ़े। इसलिए बेटियों को उनके होने के लिए सराहना हमारा फर्ज है। एक कलाकार होने के नाते मै अपनी कला के जरिए यह संदेश समाज को दे सकती हूं।
कहती हैं कि गाना और उसमें किरदार निभाना दोनों बहुत अलग है लेकिन लगन हो तो यह सब किया जा सकता है। मुझे हमेशा ही गाना गाने के साथ अभिनय करने का भी शौक रहा इसलिए इस बार यह शौक भी पूरा कर लिया वैसे भी जब आप गाना गाते हैं तो उसके हर एक शब्द में उतर जाते हैं ऐसे में आपको आसानी होती है गाने में किरदार निभाने की यह कहना है हिमाचली फोक सिंगर रीता बुरहान का। उन्होंने हाल ही में एक गाना रिलीज किया है जिसमें अहम किरदार उन्होंने निभाया है।
रीता ने बताया कि मेरे हर गाने में फोक संगीत जरूर मिलेगा, क्योंकि मैं आज जो भी हूं उसी की बदौलत हूं। जब कोई साधन नहीं होता था, अपने दिल की बात को बयां करने का तो फोक ही एकमात्र सहारा था। हिमाचली फोक में जो भी इमोशन होता है, उसे गाकर बयां कर दिया कर जाता है। हालांकि हिमाचल फोक में लिखित में इतना कुछ नहीं है। जो है वह सुनकर ही आगे बढ़ता गया। हिमाचली फोक में एक खूबसूरती भी है कि हर दो गांव के बाद फोक बदल जाएगा।
हर गांव के लोगों का अपना तजुर्बा होता है, जिसको वह अपने गानों में सहेज कर रखते हैं। गाने के शौक को लेकर रीता कहती है कि पहाड़ों के लोग बचपन से ही गाने सुनने का लग जाते हैं। हर त्यौहार, हर खुशी और उदासी में संगीत होता है। इसे ही हिमाचली फोक कहा जाता है। मैं भी यही सुनती आई हूं। पहली बार 2009 में कॉलेज के स्टेज पर गाया। नौकरी छोड़ने के बाद मैंने गाने पर ही फोकस किया। खास तौर पर हिमाचली गानों पर।
वर्ष 2014 से प्रोफेशनली संगीत की दुनिया में का काम कर रही रीता पुरहान कहती हैं कि अगर फोक को जिंदा रखना है तो आर्टिस्ट्स को खुद ही पहल करनी होगी। दिमाग से यह बात निकालनी होगी कि जो चलन में है वही गाना है। कुछ भी गाना गलत नहीं लेकिन अपनी सभ्यता से छेड़छाड़ करना भी सही नहीं है। कलाकार को खुद की कला पर इतना भरोसा होना चाहिए कि जब भी फोक ऑडियंस को परोसा जाए तो वह उनके दिल में घर कर जाए।
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