Himachal Politics : यही सियासत है, भाजपा ने पहले टिकट काटा, फिर कराई घर वापसी

भाजपा ने  नालागढ़ से कृष्ण लाल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह को पार्टी में शामिल कर लिया है। भाजपा ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों को ही टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह अन्यों को चुनाव लड़ाया था।

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Himachal Political Crisis : इसे वक्त की नजाकत कहें या फिर बदली हुई परिस्थिति। सियासत में कब, कौन, किन बातों पर सहमत हो जाए या विरोध कर दे, कुछ नहीं कहा जा सकता। इसीलिए ही शायद राजनीति को अनिश्चितता का खेल कहते हैं। हालांकि कहना मुश्किल है। साल 2022 में दो नेताओं का टिकट काटने वाली भाजपा ने दोबारा शामिल कर लिया है। यह नेता हैं नालागढ़ से कृष्ण लाल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह।   भाजपा ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों को ही टिकट नहीं दिया। उनकी जगह अन्य नेताओं को चुनाव लड़वाया गया। दोनों सीटों पर भाजपा तीसरे नंबर पार्टी बनी। मगर उस वक्त भाजपा के नेतृत्व को खटकने वाले नेता अब आंख के तारे हो गए हैं। वर्ष 2024 में राज्यसभा चुनाव के लिए हुई क्रॉस वोटिंग के बाद सियासत ऐसी बदल गई है कि दोनों ही नेता अब भाजपा में या तो शामिल हो गए या फिर इन्हें शामिल कर लिया गया है।

Himachal Political Crisis : इसे वक्त की नजाकत कहें या फिर बदली हुई परिस्थिति। सियासत में कब, कौन, किन बातों पर सहमत हो जाए या विरोध कर दे, कुछ नहीं कहा जा सकता। इसीलिए ही शायद राजनीति को अनिश्चितता का खेल कहते हैं। हालांकि कहना मुश्किल है। साल 2022 में दो नेताओं का टिकट काटने वाली भाजपा ने दोबारा शामिल कर लिया है। यह नेता हैं नालागढ़ से कृष्ण लाल ठाकुर और देहरा से होशियार सिंह। 

भाजपा ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों को ही टिकट नहीं दिया। उनकी जगह अन्य नेताओं को चुनाव लड़वाया गया। दोनों सीटों पर भाजपा तीसरे नंबर पार्टी बनी। मगर उस वक्त भाजपा के नेतृत्व को खटकने वाले नेता अब आंख के तारे हो गए हैं। वर्ष 2024 में राज्यसभा चुनाव के लिए हुई क्रॉस वोटिंग के बाद सियासत ऐसी बदल गई है कि दोनों ही नेता अब भाजपा में या तो शामिल हो गए या फिर इन्हें शामिल कर लिया गया है।

भाजपा ने काटा था होशियार सिंह का टिकट

वर्ष 2017 में देहरा से होशियार सिंह निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तो होशियार सिंह सत्ता रूढ़ दल के साथ हो लिए। 44 सीटों पर जीतकर आई भाजपा को देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह और जोगिंद्रनगर से प्रकाश राणा का साथ मिला। जून 2022 में दोनों निर्दलीय विधायकों ने भाजपा का पटका पहन लिया। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रकाश राणा भाजपा प्रत्याशी बने। मगर होशियार सिंह का टिकट कट गया। 

देहरा से भाजपा ने वरिष्ठ नेता रमेश चंद ध्वाला को विधानसभा चुनाव में उतरा। बेवफाई पर होशियार सिंह ने भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद की। जनता में गए और एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी रण में उतरे। इसके बाद रमेश चंद ध्वाला की पारंपरिक सीट ज्वालामुखी को बदल दिया गया। भाजपा ने रमेश चंद ध्वाला को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए देहरा भेज दिया। चुनाव परिणाम में रमेश चंद ध्वाला तीसरे स्थान पर रहे।

कांग्रेस-भाजपा के नेताओं को हराया था चुनाव

विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशी होशियार सिंह को 22997, कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. राजेश शर्मा को 19120 और भाजपा के प्रत्याशी रमेश चंद ध्वाला को 16730 वोट पड़े। निर्दलीय चुनाव लड़कर होशियार सिंह 3877 वोट के अंतर से जीत गए। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रचंड बहुमत से जीत हुई। होशियार सिंह ने कांग्रेस को एसोसिएट विधायक के तौर पर समर्थन दिया। राज्यसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट कर दिया। अब विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं।

नालागढ़ में काटा था केएल ठाकुर का टिकट

नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र से आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत कर आए कृष्ण लाल ठाकुर को भी भाजपा से बेवफाई मिली। साल 2012 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने के बाद कृष्ण लाल ठाकुर पहली बार चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे। साल 2017 में लखविंद्र राणा से चुनाव हार गए। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कृष्ण लाल ठाकुर को टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी।  ऐसा नहीं होने पर भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए लखविंद्र राणा को प्रत्याशी बना दिया। केएल ठाकुर आजाद ही रण में उतर गए और जीते भी। 


नालागढ़ में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रोड शो कर रहे थे। खुली जीप में केएल ठाकुर को जगह नहीं मिली और सड़क पर धक्के खाते हुए नजर आए। जनता की भावनाएं कृष्ण लाल के साथ जुड़ गईं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशी के तौर पर 33427 मत हासिल कर विजयी हासिल की। उन्होंने भी मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की नेतृत्व वाली सरकार को एसोसिएट विधायक के तौर पर समर्थन दिया। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर दौरान उन्होंने भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। अब बतौर निर्दलीय विधायक इस्तीफा देने के बाद दोबारा बीजेपी का दामन खथाम लिया है।

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