बड़सर विस क्षेत्र में लघु सचिवालय भवन व बस अड्डे का निर्माण अभी भी सपना

बड़सर क्षेत्र को वर्षो बाद भी केंद्रीय विद्यालय, टैक्सी स्टैंड, पार्किंग स्थल, चिल्ड्रन पार्क, खेल परिसर,  औद्योगिक क्षेत्र के वादे खोखले साबित।
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हमीरपुर  । उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ की तपोभूमि बड़सर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक नेतृत्व लगभग पिछले 20 वर्षों के दौरान विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं को लाने और क्रियान्वित करने में कमजोर रहा है। इनमें मिनी सचिवालय का निर्माण, बस अड्डे का निर्माण, सेंट्रल स्कूल की स्थापना, टैक्सी स्टैंड, गाड़ियों के लिए पार्किंग स्थल, चिल्ड्रन पार्क, डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर का कार्यालय, खेल परिसर, राजकीय महाविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स शुरू करना शामिल है। बहुत से ऐसे विकासात्मक कार्य हैं जिनके बारे में अभी कुछ नहीं हो पाया। ऐसा प्रतीत होता है कि चाहे भाजपा हो या कांग्रेस दोनों सरकारें इस विधानसभा क्षेत्र के विकास के बारे में बिल्कुल लापरवाह रही है। 

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बताते चलें कि बड़सर क्षेत्र में कई परियोजनाएं ऐसी हैं जिनका नींव पत्थर रखे हुए एक दशक से भी ज्यादा समय बीत चुका है। लगभग 13 वर्ष पहले बड़सर विधानसभा के मुख्यालय में एक मिनी सचिवालय भवन व बस अड्डा बनाने के नींव पत्थर रखे गए थे। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन विकासात्मक और अति आवश्यक कार्यों का नींव पत्थर रखने के बाद कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के बाद भाजपा दल के नेतृत्व वाली सरकार भी अपना पांच वर्ष का कार्यकाल दिसंबर 2022 में पूरा करने जा रही है। इन दोनों मुख्य कार्यों को कार्यान्वित करवाने के लिए अभी तक असमर्थ रहे हैं।

हालांकि मिनी सचिवालय निर्माण के लिए प्रक्रिया 13 वर्ष बाद आरंभ की गई है। स्थानीय जनता हैरान व परेशान है कि सचिवालय के काम को शुरू करवाने में ही एक दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है। अगर बात रोजगार की करें, तो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की लिए बल्ह बिहाल में इंडस्ट्रियल एरिया का शिलान्यास किया गया था। हालांकि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ये योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। युवा अपने आप को ठगा महसूस करते रहे।

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वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बड़सर क्षेत्र में बेहाल है। सिविल अस्पताल बड़सर मात्र रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है। जबकि सीएचसी बिझड़ी की हालत आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनती रहती हैं। शिक्षा के संदर्भ में सेंट्रल स्कूल की घोषणा हुए दो वर्ष से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है।

उपमंडल के कालेजों में प्रवक्ताओं के रिक्त पड़े हैं व इन्हें भरने के लिए छात्र संगठन लगातार आवाज उठाते रहते हैं। अब एक बार फिर से प्रदेश में नई सरकार बनाने के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। देखना यह है  कि बड़सर की जनता वोट देते समय विकास, खोखले वायदों, स्वास्थ्य सुविधाओं शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे रखती है या फिर नेताओं द्वारा दिखाए जा रहे सब्जबागों के माया जाल में उलझ जाती है।

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