दीपावली (Dipawali) पर संभल कर चलाएं पटाखे, मेडिकल कॉलेज हमीरपुर (Medical College Hamirpur) में नहीं बर्न यूनिट

मेडिकल कॉलेज हमीरपुर  (Medical College Hamirpur)  में बर्न यूनिट नहीं हैं। प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा भी नहीं है। आग की चपेट में आकर झुलसने वाले लोगों को यहां से मेडिकल कॉलेज टांडा (Medical College Tanda) रेफर किया जाता है। 
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हमीरपुर।   दीपावली (Dipawali) पर्व पर पटाखे जरा संभल कर चलाएं। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर (Medical College Hamirpur)  में बर्न यूनिट नहीं हैं। प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा भी नहीं है। आग की चपेट में आकर झुलसने वाले लोगों को यहां से मेडिकल कॉलेज टांडा ( Medical CollegeTanda) रेफर किया जाता है। दिवाली (Diwali) की रात पटाखे जलाते समय आग से जलने की घटनाएं अक्सर होती रही हैं। हालांकि, कोरोना (Corona) से पूर्व अस्पताल (Hospital) के आपातकालीन वार्ड के साथ बर्न वार्ड बनाया गया था, लेकिन कोविड के कारण बने डीसीएच (DCH) के चलते इसे यहां से हटा दिया गया।



इसके बाद बर्न वार्ड या बर्न यूनिट अस्पताल (Hospital) में स्थापित नहीं की गई। मेडिकल कॉलेज हमीरपुर (Medical College Hamirpur) से गंभीर रूप से जले मरीजों को टांडा (Tanda)  या शिमला (Shimla) ही रेफर करना पड़ता है। हालांकि, दिवाली  (Diwali) की रात पटाखों से जलने वाले लोगों को आपातकालीन कक्ष में चिकित्सक के अलावा मेडिकल कॉलेज ( (Medical College) प्रबंधन ने सर्जन की ड्यूटी भी लगाई है। अगर कोई व्यक्ति आग या पटाखों से घायल होता है तो उसका उपचार यह सर्जन करेगा। इतने बड़े अस्पताल (Hospital) में बर्न यूनिट न होने पर जिले के लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के प्रति रोष जताया है।



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चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान (Dr Ramesh Chauhan) ने कहा कि दिवाली (Diwali)  की रात अस्पताल (Hospital) में सर्जन की ड्यूटी बर्न केसों के लिए लगाई है। बर्न यूनिट और प्लास्टिक सर्जन नहीं है। इस कारण गंभीर मरीजों को रेफर ही किया जाता है।

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