हिमाचल में 300 यूनिट्स मुफ्त बिजली का इंतजार करते 10 लाख परिवार 125 से भी बाहर
सुक्खू सरकार (Cm Sukhvinder Singh Sukhu) ने हिमाचल प्रदेश के 10 लाख लोगों को बड़ा झटका दिया है। विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में लोगों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली (Free Electricity) देने को लेकर बड़ा ऐलान किया था। ऐसे में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद लोग 300 यूनिट फ्री बिजली की उम्मीद लगाए बैठे थे। मगर अब लोग अब 125 यूनिट्स से भी बाहर हो जाएंगे। प्रदेश के लगभग 10 लाख परिवारों को मुफ्त बिजली की सुविधान नहीं मिलेगी।
बता दें कि शुक्रवार को शिमला में सीएम सुक्खू की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। कैबिनेट ने सबसे बड़ा और अहम फैसला 125 यूनिट पर फ्री बिजली पर लिया गया। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक अब साधन संपन्न लोगों को मुफ्त बिजली योजना से बाहर किया जाएगा। इनकम टैक्स देने वाले लोगों, क्लास वन और क्लास टू कर्मचारियों को भी 125 यूनिटी तक फ्री बिजली योजना का लाभ नहीं मिलेगा। एक परिवार को एक मीटर पर ही 125 यूनिट निशुल्क बिजली का लाभ मिलेगा।
कैबिनेट बैठक में बिजली मीटर को आधार या राशन कार्ड से जोड़ने का भी महत्वपूर्ण फैसला लिया है। मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सीएम, पूर्व सीएम, मंत्री, पूर्व मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक, विधानसभा अध्यक्ष, पूर्व विस अध्यक्ष, विधानसभा उपाध्यक्ष, एमपी, पूर्व एमपी, ओएसडी, सलाहकार, बोर्ड/निगम के चेयरमैन, उपाध्यक्ष के अलावा आईएएस, आईपीएस, एचएएस अधिकारियों, प्रथम श्रेणी व द्वितीय श्रेणी कर्मचारियों को 125 यूनिट बिजली निशुल्क नहीं मिलेगी।
सरकार ने क्या फैसला लिया
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व की जयराम सरकार ने प्रदेश वासियों को हर महीने 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया था। जयराम सरकार ने साल 2022 में 14 लाख उपभोक्ताओं को निशुल्क बिजली देने की योजना लागू की थी। इसके बाद लाखों परिवारों को जीरो बिल आ रहे थे। मगर अब 125 यूनिट की निशुल्क बिजली योजना बंद होने से साढ़े दस लाख उपभोक्ताओं को झटका लगा है। इससे जो लोग 300 यूनिट फ्री बिजली की इंतजार कर रहे थे, उन्हें 125 यूनिट मुफ्त बिजली का भी लाख नहीं मिलेगा।
कांग्रेस ने दिया था 300 यूनिट्स फ्री देने का वादा
हिमाचल प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रदेश में 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया था। हालांकि, कांग्रेस की सरकार को बने हुए 18 महीने से अधिक वक्त बीत गया है। मगर कांग्रेस सरकार 300 यूनिट फ्री देने पर कोई फैसला नहीं कर पाई। इसका मुख्य कारण हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति है। प्रदेश पर करीब एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। हिमाचल को बिजली परियोजनाओं की वजह से सबसे अधिक आय होती है, लेकिन मुफ्तखोरी की वजह से बिजली बोर्ड की आर्थिक हालत भी खराब होने लगी है।
मुफ्तखोरी से सरकारी कर्मचारियों को सैलरी का संकट
हाल ही में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों की सैलरी को लेकर भी सकंट का सामना करना पड़ा था। इसे लेकर काफी ज्यादा बवाल भी हुआ था। वहीं, सुक्खू सरकार अब तक बिजली कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन योजना का लाभ भी नहीं दे पाई है। उधर, हिमाचल प्रदेश में जुलाई माह की पेंशन एचआरटीसी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं मिली है। शुक्रवार को ही कैबिनेट मीटिंग के बाद मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हिमाचल वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। बिजली बोर्ड के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। पिछली सरकार की ओर से बिजली पर दी गई सब्सिडी की देनदारियां भी इस सरकार को चुकानी पड़ रही हैं।
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