महाभारत काल में है कांगड़ा का वर्णन, जानिए इससे जुड़ी रोचक कहानियां

हिमाचल की खूबसूरत घाटियों में शुमार जिला कांगड़ा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां पर कई ऐतिहासिक धरोहर भी मौजूद हैं। महाभारत काल में कांगड़ा को त्रिगर्त राज्य के नाम से संदर्भित किया गया है।
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हिमाचल की खूबसूरत घाटियों में शुमार जिला कांगड़ा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां पर कई ऐतिहासिक धरोहर भी मौजूद हैं। महाभारत काल में कांगड़ा को त्रिगर्त राज्य के नाम से संदर्भित किया गया है।

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत घाटियों में शुमार जिला कांगड़ा लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां पर कई ऐतिहासिक धरोहर भी मौजूद हैं। महाभारत काल में भी इस स्थान का उल्लेख किया गया है। महाभारत काल में कांगड़ा को त्रिगर्त राज्य के नाम से संदर्भित किया गया है। कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा स्थान है, जहां पर हर तरह के पर्यटन स्थल मौजूद हैं। धार्मिक स्थान के लिए जहां कई प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं, वहीं दूसरी ओर यहां पर कई साहसिक पर्यटन स्थल भी हैं।

जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मैक्लोडगंज स्थित है, जो कांगड़ा की खूबसूरती में चार चांद लगाता है। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की मौजूदगी से यह पर्यटन स्थल विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। आइए जानते हैं हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा से जुड़े इतिहास के बारे में रोचक तथ्य। 


कांगड़ा की स्थापना और इतिहास
कांगड़ा 5739 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। कांगड़ा से जुड़ी कई कहानियां इतिहास में मौजूद हैं। प्राचीनकाल में कांगड़ा त्रिगर्त के नाम से जाना जाता था। कांगड़ा की स्थापना महाभारत के पूर्व की मानी जाती है। कांगड़ा किले पर 10वीं शताब्दी में महमूद गजनवी ने आक्रमण किया और वह इसे फतेह करने में कामयाब रहा। इसके बाद यह किला लगभग 1043 तक तुर्कों के कब्जे में रहा। इस किले को लगभग 34 सालों बाद तोमर राजाओं ने तुर्कों से आजाद करवाया। लेकिन कुछ सालों बाद यह फिर से तुर्कों के कब्जे में चला गया। साल 1060 में पुन: कांगड़ा के राजाओं ने इसे अपने अधीन कर लिया। साल 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह पंजाब का एक हिस्सा बन गया, लेकिन 1966 में इसे हिमाचल राज्य में शामिल कर दिया गया।

कांगड़ा के धार्मिक स्थल
हिमाचल प्रदेश को देवी देवताओं की भूमि भी कहा जाता है। यहां पर आप धार्मिक स्थल का दर्शन कर प्रकृति के सौंदर्य का भी लुत्फ उठा सकते हैं। कांगड़ा जिले में मां बृजेश्वरी मंदिर, बगलामुखी मंदिर, बाबा बैजनाथ मंदिर, मां चामुण्डा देवी मंदिर, ज्वालामुखी मंदिर समेत अनेकों धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जहां पर लाखों की संख्या में पर्यटक दर्शन करने के लिए आते हैं। इन मंदिरों को लेकर सबकी अपनी अलग अलग धार्मिक मान्यताएं हैं।  


छोटा ल्हासा मैक्लोड़गंज
मैक्लोड़गंज कांगड़ा का प्रमुख आकर्षण केंद्र है। आजकल यह सबसे चर्चित दर्शनीय स्थल बना हुआ है। आपको बता दें बहुत से तिब्बतियों के निवास के कारण इसे छोटा ल्हासा भी कहा जाता है। यह स्थान धार्मिक स्थल और पर्वतीय स्थान का मिश्रण है। यहां पर आप सुंदर हिमालय की पहाड़ियों से रूबरू होते हुए उनका भी लुत्फ उठाते हैं। यह स्थान बौद्ध श्रद्धालुओं का मुख्य केंद्र है। आपको बता दें मैक्लोड़गंज दलाई लामा का निवास स्थान है।  


 
सबसे पुराना और विशाल कांगड़ा किला
कांगड़ा किला सबसे पुराने किलों में एक माना जाता है। 463 एकड़ में फैला यह किला सबसे पुराने किलो में सबसे विशाल है। आपको बता दें यह किला किसी रहस्य से कम नहीं है क्योंकि यह कब बना है इसका पता लगाना काफी मुश्किल है। आजतक यह कोई पता नहीं लगा पाया कि इस किले का निर्माण कब हुआ। इस किले का साक्ष चौथी शताब्दी में सिकंदर के युद्ध में भी मिलता है। माना जाता है कि इस किले का निर्माण कांगड़ा राज्य के कटोच वंश ने करवाया था। जिन्होंने खुद का त्रिगर्त साम्राज्य के वंशज के रूप में प्रमाण दिया।  

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