Chamba To China : चम्बा से मेपल की लकड़ी तस्करी के तार चीन से जुड़े, जानें क्या है पेड़ की धार्मिक महत्ता
चम्बा। हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा से मेपल की लकड़ी की तस्करी उत्तर प्रदेश होते हुए चीन तक हो रही है। वन विभाग की ओर से नेपाल मूल के छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जो चम्बा से लड़की को तस्करी कर उत्तर प्रदेश के सहारपुर तक पहुंचाते थे, जहां से लकड़ी को आगे सप्लाई किया जाता था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल मूल के आरोपी चाइना तक मेपल की लकड़ी की सप्लाई करते थे।
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मेपल के पेड़ का वैज्ञानिक नाम जीनस एसर (Genus Acer) है। विभिन्न संस्कृतियों और ऐतिहासिक संदर्भों में महत्वपूर्ण प्रतीकात्मकता स्थान रखते हैं। प्रेम, उदारता, रक्षा और संतुलन से जुड़े ये बहुमुखी पेड़ प्रेक्षक के दृष्टिकोण के आधार पर अद्वितीय अर्थ प्रस्तुत करते हैं। मेपल के पेड़, सबसे शक्तिशाली पेड़ों में से एक, लुभावने सौंदर्य और लकड़ी के धनी होते हैं। इनकी लकड़ी से कई वस्तुएं बनाई जाती हैं।
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मेपल के पेड़ों का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
आध्यात्मिक क्षेत्रों में, माना जाता है कि मेपल के पेड़ों में जादुई गुण होते हैं। मेपल के पेड़ काफी बड़े पेड़ होते हैं और अपनी क्षैतिज शाखाओं और चौड़े कैनोपियों के नीचे शरण और सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। सुरक्षा और स्थिरता की यह भावना विभिन्न संस्कृतियों और मान्यताओं में बहुआयामी अर्थों के साथ एक स्थायी उपस्थिति के रूप में मेपल के पेड़ के प्रतीकवाद को और मजबूत करती है।
चीन में मेपल के पेड़ का धार्मिक महत्व जटिल और बहुआयामी है। यहाँ कुछ मुख्य पहलू दिए गए हैं:
बौद्ध धर्म:
- मेपल के पेड़ को बोधिसत्व Avalokitesvara (अवलोकितेश्वर) से जोड़ा जाता है, जो करुणा और दया के अवतार हैं।
- चीन में कई बौद्ध मठों में मेपल के पेड़ लगाए जाते हैं, और उन्हें पवित्र माना जाता है।
- कुछ लोग मानते हैं कि मेपल के पेड़ों के नीचे ध्यान करने से ज्ञान और शांति प्राप्त होती है।
- मेपल का पेड़ बुद्ध से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि बुद्ध ने मेपल के पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था।
ताओवाद:
- ताओवादी दर्शन में, मेपल के पेड़ को यिन और यांग के संतुलन का प्रतीक माना जाता है।
- मेपल के पेड़ों के पत्तों का लाल रंग, जो अक्सर जुनून और क्रोध से जुड़ा होता है, को ताओवाद में शांत और शांत करने वाला माना जाता है।
- मेपल के पेड़ों को अक्सर ताओवादी मंदिरों और मठों में लगाया जाता है।
लोककथाएँ:
- चीनी लोककथाओं में, मेपल के पेड़ को अक्सर प्रेम और रोमांस से जोड़ा जाता है।
- एक प्रसिद्ध कहानी एक युवा जोड़े की है जो एक मेपल के पेड़ के नीचे प्यार में पड़ जाता है और फिर अलग हो जाता है।
- मेपल के पेड़ को अक्सर विरह और प्रतीक्षा का प्रतीक माना जाता है।
आधुनिक चीन:
- आधुनिक चीन में, मेपल के पेड़ को अक्सर राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक माना जाता है।
- चीन के कई शहरों में मेपल के पेड़ लगाए जाते हैं, और उन्हें वसंत और शरद ऋतु में पर्यटकों के आकर्षण के रूप में देखा जाता है।
- मेपल के पत्ते चीन में एक लोकप्रिय सजावटी तत्व हैं, और उनका उपयोग अक्सर कला और शिल्प में किया जाता है।
विभिन्न संस्कृतियों में मेपल का धार्मिक महत्व:
- जापान: शरद ऋतु में, मेपल के पत्तों के बदलते रंगों को देखने के लिए लोग इकट्ठा होते हैं, जो चेरी के फूलों की वसंत ऋतु की परंपरा की याद दिलाता है।
- अमेरिका: कनाडा का राष्ट्रीय वृक्ष, मेपल, देश की पहचान और गौरव का प्रतीक है।
- चीन: मेपल को बोधिसत्व Avalokitesvara (अवलोकितेश्वर) से जोड़ा जाता है, जो करुणा और दया के अवतार हैं।
- भारत: मेपल को अक्सर देवी दुर्गा से जोड़ा जाता है और इसे शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।
मेपल की लकड़ी के प्रकार:
- हार्ड मेपल: यह सबसे आम प्रकार है और फर्नीचर, संगीत वाद्ययंत्र और खेल के सामान बनाने में उपयोगी है।
- सॉफ्ट मेपल: यह हार्ड मेपल की तुलना में कम घना होता है और इसका उपयोग अक्सर फर्नीचर और लकड़ी के बर्तन बनाने में किया जाता है।
- कनाडाई मेपल: यह लकड़ी अपनी सुंदर लाल रंग के लिए जानी जाती है और इसका उपयोग अक्सर फर्नीचर और कला और शिल्प में किया जाता है।
मेपल के पेड़ हिमाचल प्रदेश के वनस्पतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे राज्य के कई जंगलों में प्रमुख प्रजातियां हैं और विभिन्न प्रकार के जानवरों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं। मेपल के पेड़ राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उनकी लकड़ी का उपयोग फर्नीचर, संगीत वाद्ययंत्र और अन्य वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में मेपल के पेड़ों की 12 से अधिक प्रजातियां हैं।
हिमाचल प्रदेश में मेपल के पेड़ों का सबसे अच्छा समय वसंत और शरद ऋतु में होता है। वसंत में, मेपल के पेड़ों के पत्ते चमकीले हरे रंग के होते हैं और शरद ऋतु में, वे लाल, नारंगी और पीले रंग के रंगों में बदल जाते हैं। यहाँ कुछ स्थान हैं जहां आप मेपल के पेड़ देख सकते हैं:
- शिमला
- मनाली
- धर्मशाला
- डलहौजी
- कांगड़ा
- चम्बा
- भरमौर
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