लोगों के कार्यक्रमों से दिक्कत क्या?
मुख्यमंत्री महोदय, मुख्यसचिव साहब, डीसी साहब, एडीएम साहब और एसडीएम महोदय… पूछता है हिमाचल। प्रदेश में यह हो क्या रहा है? प्रदेश में जनसभाएं हो रही हैं, राजनीतिक बैठकों का भी दौर जारी है, राजनीतिक रैलियों भी रही हैं तो फिर आम लोगों के कार्यक्रमों के आयोजन में क्या परेशानी है ? पंद्रह अगस्त को आयोजित हुए कार्यक्रम और तिरंगा यात्रा में लोगों की कितनी भीड़ जुटी थी ये भी आप जानते हैं। जन आशीर्वाद के नाम पर प्रदेश के छह जिलों में केंद्रीय मंत्री ने रैलियां कीं, उसकी तस्वीरें आपके सामने हैं। पर अफसोस अब आप आम लोगों को कार्यक्रमों की सीमित करना चाहते हैं तो व्यवस्था क्या है?
सिर्फ आम लोगों को ही अपने नाते-रिस्तेदारों में कार्यक्रमों में जाने से रोकना चाहते हो तो ये सरासर बेइंसाफी है। हां यदि आपकी व्यवस्था, नियम और कोरोना प्रोटोकॉल राजनीतिक बैठकें और जनसभाएं रोक पाती तो फिर आपका आम लोगों के कार्यक्रमों को सीमित करने का फैसला सही होता। मगर आपके प्रदेश में जब जनसभाएं हो सकती हैं। राजनीतिक बैठकें भी हो रही हैं, रैलियां भी हुई हैं। ऐसे में सिर्फ आम लोगों के कार्यक्रमों में सीमित संख्या में लोगों की भादीदारी आपकी व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लग रहे हैं?
वैसे अगर आपका ध्यान दिला दिया जाए तो 15 अगस्त को चम्बा के चुराह में तिरंगा रैली निकाली गई। उसके बाद 17 अगस्त को मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भरमौर और पांगी के दौरे पर गए, जनसभाएं हुईं। लोगों की भीड़ जुटी थी, किसी ने पूछा तक नहीं। उसके बाद 19 अगस्त से हिमाचल में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जन आशीर्वाद यात्रा हुई। भीड़ के फोटो स्वयं केंद्रीय मंत्री और हिमाचल के तमाम भाजपा से जुड़े नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट पर देखे जा सकते हैं। वैसे भी प्रदेश में जनसभाएं हो रही हैं, राजनीतिक बैठकों का भी दौर जारी है, राजनीतिक रैलियों भी तो रही हैं तो फिर आम लोगों के समारोहों का आयोजनों को सीमित करना कहां तक उचित है ?
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