अलगाववादियों के विरुद्ध सख्ती की जरूरत

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य गेट पर खालिस्तानी झंडे लगाना और खालिस्तान लिखा जाना चिंता बढ़ाने वाला है।
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धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मुख्य गेट पर खालिस्तानी झंडे लगाना और खालिस्तान लिखा जाना चिंता बढ़ाने वाला है। इस घटना को लेकर प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस पर शक जताया जा रहा है। पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में खालिस्तानी झंडे लेकर आने पर प्रतिबंध से सिख फॉर जस्टिस संगठन का प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू बौखलाया है। उसने 29 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में खालिस्तानी और भिंडरावाले के झंडे लगाने की धमकी भी दी थी।


हाल के दिनों की हरकतों ने इन आशंकाओं को गहरा किया है कि खालिस्तान नाम के दिग्भ्रमित विचार को फिर हवा देने की कोशिश की जा रही है। पहले हिमाचल में खालिस्तानी और भिंडरावाले के झंडों समेत प्रवेश की कोशिशें होती हैं। फिर पटियाला में खालिस्तान समर्थकों और हिन्दू संगठनों के बीच हिंसक झड़प होती है। उसके बाद हरियाणा के करनाल में हथियारों के साथ बब्बर खालसा के चार संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी होती है। यह सारी घटनाएं उतर भारत में एक नए खतरे के संकेत दे रही हैं।


पंजाब संवेदनशील और सरहदी राज्य है। देश ने लंबे समय तक पंजाब में आतंकवाद का दंश झेला और भारी कीमत चुकाई है। 80 के दशक में हजारों भारतीय नागरिक पंजाब के आतंकियों की हिंसा का शिकार हुए। लंबे संघर्ष के बाद पंजाब में अमन-चैन की बहाली हुई थी। अलगाववादियों की नजरें फिर इस अमन-चैन पर हैं। पहले लग रहा था कि खालिस्तान की मांग ठंडी पड़ चुकी हैं। मगर पिछले चार-पांच साल के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा आदि देशों में खालिस्तान की मांग करने वाले स्वयंभू नेता फिर सक्रिय हुए हैं। 


खालिस्तानी नेताओं की पौध तैयार करने का काम ब्रिटेन में सबसे ज्यादा हुआ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर तो पहले से ही आरोप लगता रहा है कि वह पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश में जुटी रहती है। पिछले साल किसान आंदोलन में भी खालिस्तान की घुसपैठ के आरोप लगे थे। उसके बाद लुधियाना की जिला अदालत में हुए बम धमाके ने भी संकेत दिए थे कि अलगाववादी पंजाब का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं। इसके साथ ही अब शांतिप्रिय देवभूमि हिमाचल पर भी नजर है।  

अफसोस है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने ऐसी कुचेष्टाओं को सख्ती से कुचलने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इस मुद्दे पर पंजाब को केंद्र सरकार के साथ समन्वय मजबूत करना चाहिए। अलगाववादियों की हरकतों पर केंद्र को भी विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। केंद्र सरकार को उन देशों की सरकारों पर दबाव बनाना चाहिए जो एक तरफ भारत से दोस्ती का दम भरते हैं और दूसरी तरफ अपनी धरती पर खालिस्तान समर्थक हरकतों की छूट देते हैं। ऐसी हरकतों को बढ़ावा देने वाले देशों को कड़ा संदेश देने की जरूरत है।

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